सरकारी अस्पतालों में मरीजों को भीषण गर्मी से बचाने के नहीं इंतजाम

कूलर बंद, हीटस्ट्रोक का खतरा

Meerut . एक तो बीमार, दूसरा गर्मी बेहिसाब..सरकारी अस्पतालों में एडमिट मरीजों के मुंह से ऐसे ही आह निकल रही है. 40 पार टेम्प्रेचर में जहां अधिकारियों के लिए फुल कूलिंग एसी चालू हैं वहीं मरीज लाचार-परेशान हैं. गर्मी से छटपटाते मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं. आधा मई बीत चुका है, लेकिन वार्ड में कूलर तो दूर अधिकतर पंखे भी खराब हैं. तीमारदारों का भी दम निकल रहा है. स्थिति ये है कि फुल चल रहे वार्डो में मरीजों का सांस लेना भी दूभर हो गया है.

--------

ये है स्थिति

जिला अस्पताल और एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज दोनों सरकारी अस्पतालों में मरीजों की हालत दयनीय हो चुकी है. बढ़े टेंप्रेचर के बीच अस्पताल के सभी वार्डों में मरीज गर्मी से परेशान हो चुके हैं. वार्डो में लगे कई पंखे खराब हैं जबकि दूसरे पंखे भी गर्म हवा फेंक रहे हैं. अस्पताल प्रशासन की ओर से गर्मी से राहत दिलाने के लिए वार्डो में कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. मरीजों को भीषण गर्मी के बीच हीटस्ट्रोक का खतरा मंडरा रहा है.

जिला अस्पताल का हाल

जिला अस्पताल में रोजाना 1200 से 1500 मरीजों की ओपीडी होती है. वहीं 100-150 मरीज प्रतिदिन भर्ती किए जा रहे हैं. 250 बेड वाले इस अस्पताल के जरनल, मेल, फीमेल आर्थो वार्ड, चिल्ड्रेन वार्ड, इसोलेशन वार्ड में बुरा हाल है. सभी वार्ड लगभग फुल हैं. एक-एक कूलर रखा गया है लेकिन 20 से 25 बेड वाले वार्डो में ये भी मात्र शोपीस बनकर रह गए हैं. मरीजों की संख्या अधिक होने की वजह से सांस लेना भी यहां मुहाल है.

मेडिकल कॉलेज

जिला अस्पताल में रोजाना 3500 से 4000 तक मरीजों की ओपीडी होती है. वहीं 500 से 600 मरीज प्रतिदिन भर्ती किए जा रहे हैं. 700 बेड वाले इस अस्पताल के वार्ड में कूलर तक नहीं हैं. पंखे भी खराब हैं. आईसोलेशन व बर्न वार्ड के हालात और भी बुरे हैं. वार्ड फुल होने की वजह से सफोकेशन वाली स्थिति बनी हुई है.

---------

तीमारदार भी परेशान

अस्पताल में मरीज ही नहीं तीमारदार भी परेशान हैं. उनके बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं. बाहर बनी गैलरी में ही तीमारदार रूकने के लिए विवश हैं. यहां भी गर्मी से निजात के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं.

------

पानी के लिए भी तरसे

अस्पताल में मरीज पीने के पानी के लिए भी तरस रहे हैं. जिला अस्पताल में वाटर कूलर नहीं हैं. पानी की व्यवस्था भी ठीक नहीं हैं. मरीज या तो बोतलबंद पानी पीने के लिए मजबूर हैं या फिर काफी दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज का भी यही हाल है.

ये है स्थिति

- 1500 मरीज रोजाना आते हैं जिला अस्पताल में

- 200 से अधिक मरीज यहां एडमिट होते हैं.

- अधिकतर वार्ड में सिर्फ पंखे लगे हैं. एक-एक कूलर रखे हैं लेकिन चल नहीं रहे हैं.

- 4000 मरीज रोजाना आते हैं मेडिकल कॉलेज में

- 500-600 से अधिक मरीज यहां एडमिट होते हैं

- अधिकतर वार्ड में सिर्फ पंखे लगे हैं. कूलर नहीं हैं.

इनका है कहना

गर्मी से बुरा हाल है. 16 दिन से बेटा जिला अस्पताल में एडमिट है. एक दिन भी यहां कूलर नहीं चला है. पंखे इतनी गर्म हवा फेंकते हैं कि अस्पताल में ठहरना भी मुश्किल हो जाता है.

रुखसाना, तीमारदार,

वार्ड में रुकना मुश्किल हैं. मरीजों का हाल बेहाल है. कूलर रखा जरूर है लेकिन चलता नहीं हैं. बेडों के बीच में गैप नहीं हैं. ऐसे में गर्मी और अधिक लगती है.

आदिल, तीमारदार

------

वार्डो में एसी लगाने की व्यवस्था नहीं हैं. कूलर लगवाए गए हैं. पंखे भी चल रहे हैं. अगर कोई पंखा खराब है तो रिपेयर करा दिया जाएगा.

डा. पीके बंसल, एसआईसी, जिला अस्पताल

----------

पंखा-कूलर लगाए गए हैं. एसी की व्यवस्था शासन की ओर से ही नहीं हैं. कुछ कमी है तो सही कराया जाएगा.

डॉ. आरसी गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज

Posted By: Lekhchand Singh