RANCHI : अब झारखंड की बेटियां भी आत्मनिर्भर बनेंगी। उनको इस तरह से स्किल्ड बनाया जाएगा ताकि वो खुद से भी कोई बिजनेस करके अपना जीवन यापन कर सकें। तेजस्विनी योजना के जरिये कुल एक लाख बेटियों को स्किल्ड बनाया जाएगा। इस दौरान इन्हें कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार दिया जाएगा। बुधवार को राज्य के पांच जिलों में इस योजना की शुरुआत की गई। उद्घाटन महिला बाल विकास मंत्री डॉ। लुइस मरांडी ने किया।

यह एक मिशन भी है

उद्घाटन के अवसर पर महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा मंत्री डॉ। ने कहा कि तेजस्विनी योजना सिर्फ एक परियोजना नहीं यह एक मिशन है, जो राज्य की किशोरियों को नयी जिंदगी देगा। योजना से जुड़े लोगों को यह ध्यान रखना होगा कि ये एक सरकारी योजना तो है ही साथ ही ये एक सामाजिक कार्य भी है। जिससे ग्रामीण किशोरियों की जिंदगी में बदलाव लाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि ढाई साल पहले रामगढ़ और दुमका में इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तहत क्रियान्वित किया गया। जिसमें सिर्फ दुमका के तीन जिलों में अब तक 36,000 किशोरियों चिन्हित किया गया है। अब अन्य जिलों में भी यह योजना लागू की जा रही है।

14 से 25 साल वालों को मिलेगी ट्रेनिंग

तेजस्विनी योजना के तहत 14 से 25 साल की किशोरियों को कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार दिया जाएगा। इससे कुपोषणा दर में कमी भी लाना है। क्योंकि माताएं अगर कुपोषित होती हैं तो होने वाले बच्चे में भी कुपोषण का असर दिखता है। ऐसे में किशोरियों के साथ गर्भवती महिलाओं पर भी ध्यान देना है ताकि कुपोषण दर में कमी लायी जा सके। इस योजना के तहत जिन किशोरियों ने मैट्रिक की परीक्षा नहीं दी होगी, उन्हें यह परीक्षा भी दिलानी है। ऐसे में कम से कम मैट्रिक तक की शिक्षा इस योजना के लिए जरूरी है।

दो लाख को जोड़ने का लक्ष्य

यह योजना राज्य के जिन 15 जिलों में शुरू की गयी है। उनमें गोड्डा, लातेहार, गढ़वा, खूंटी आदि शामिल हैं। तेजस्विनी परियोजना के डायरेक्टर डॉ। डीके सक्सेना ने कहा कि 17 जिलों में ये योजना चलायी जानी है, दो जिलों में पहले से योजना संचालित है। मंत्री ने कहा कि आने वाले साल तक दो लाख किशोरियों को कौशल विकास योजना से जोड़ा जायेगा।

Posted By: Inextlive