केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कल गैर चांदी के आभूषणों पर एक फीसद उत्पाद शुल्क मामले में अपना रुख स्‍पष्‍ट कर दिया। उनका कहना है कि आभूषण कारोबारियों को सोने पर एक फीसदी उत्पाद शुल्क देना ही होगा। हालांकि अब इस शुल्‍क के दायरे में वे कारोबारी आएंगे जिनका बिज़नेस कम से कम 12 करोड़ रुपये का है। जिससे सर्राफा व्यापारियों की हड़ताल मायूसी के साथ ही ख़त्म हुई।


12 करोड़ रुपये गैर चांदी के आभूषणों पर एक फीसद उत्पाद शुल्क लगाए जाने के मामले में करीब 6 हफ्तों से सर्राफा कारोबारी हड़ताल पर हैं। बीच में कुछ दिनों के लिए दुकानों के शटर खुले थ्ो, लेकिन फिर से इस शुल्क के विरोध में आ गए थे। जिससे कल केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साफ शब्दों में अपना रुख साफ कर दिया। उनका कहना है कि व्यापारियों को सोने पर लगाया जा रहा एक फीसदी उत्पाद शुल्क देना अनिवार्य है। वे इससे भाग नहीं सकते हैं। यह देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बेहद जरूरी कदम है। हालांकि इस दौरान उन्होंने यह साफ कर दिया कि इस शुल्क के दायरे में सिर्फ बड़े कारोबारी आएंगे। बड़े कारोबारियों का मतलब जिनका बिज़नेस कम से कम 12 करोड़ रुपये का है।तिथि बढा़ दी गई
इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि सर्राफा कारोबारी स्व-प्रमाणन के जरिए रिटर्न फाइल करने को अंजाम देते रहेंगे। जिससे साफ है कि जिस दर पर कारोबारी एक फीसदी शुल्क जमा कर रहे वे उसी दर पर उत्पाद शुल्क जमा करने का काम करेंगे। वहीं आभूषण निर्माताओं के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम सीमा को भी 31 मार्च 2015 से बढ़ाकर 30 जून 2016 कर दिया गया है। इसके साथ ही उनका कहना है कि अगर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की तरफ बढ़ना है, तो पहला कदम है विलासिता के सामानों पर कर लगाना। इसके अलावा सर्राफा कारोबारियों को भी आश्वासन दिया कि अगर उद्योग संघ को किसी भी तरह का उत्पीड़न महससू होता होता है तो वे सीधे उनसे संपर्क कर सकते है।

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Posted By: Shweta Mishra