RANCHI: जीएसटी लागू होने के बाद कपड़ा उद्योग को लेकर कई प्रकार के कयास लगाए गए। गुजरात के सूरत में कपड़ा व्यवसायियों ने सबसे ज्यादा जीएसटी का विरोध किया था। उस वक्त कपड़ा व्यवसायी ने इश्यू होने वाले बिल पर भी यह बात प्रिंट करवा दी थी कि कमल का फूल, हमारी भूल। लेकिन अब कपड़ा उद्योग में नई चुनौतियां खुदरा व्यापारियों को सता रही है। उसकी सबसे बड़ी वजह है ब्रांडेड स्टोर्स और बड़े मॉल में डिस्काउंट का खेल। जी हां, जीएसटी लागू होने के बाद कपड़ों की कीमतों में सामान्यत: एकरूपता होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा देखा नहीं जा रहा है। इसकी कई वजहें हैं। पहली तो ये कि खुदरा व्यवसायियों के पास ऑप्शन काफी कम होते हैं जबकि मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के पास बाजार को आकर्षित करने की खास स्ट्रैटजी होती है।

मॉल में सस्ता कपड़ा क्यों

शहर के बड़े-बडे़ मॉल में लगातार ऑफरों की भरमार होती है। उसकी कई वजहें हैं। जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ नए युग के आरंभ की परिकल्पना की गई थी। इसका उद्देश्य था कि पूरा भारत एक कराधान प्रणाली की छत के नीचे आ जाएगा। फिर भी ऐसा नहीं हो सका। कपड़ों के बाजार में एकरूपता नहीं आने के कई कारण हैं।

क्या है वजह ऐसे समझिए

-बड़े मॉल में या ब्रांडेड कंपनियों के आउटलेट में डिस्काउंट मैनेजमेंट के लिए एक टीम काम करती है, जबकि खुदरा व्यवसायी ऐसा नहीं कर पाते हैं।

-बड़े मॉल या ब्रांडेड कंपनियां ओल्ड स्टॉक पर डिस्काउंट डिसप्ले करती हैं। क्योंकि उनके लिए ये डेड एस्सेट होते हैं।

-लो क्वालिटी का माल होने के बाद भी इसलिए बिक जाता है, क्योंकि उन कंपनियों की अपनी ब्रांड वैल्यू होती है।

-कंपनियां सिर्फ उन्हीं प्रोडक्ट पर डिस्काउंट देती हैं, जिनका सीजन ऑफ हो चुका होता है या ओल्ड फैशन के प्रोडक्ट होने का खतरा मंडरा रहा हो।

-1000 रुपए से ऊपर के रेडिमेड कपड़ों पर 12 परसेंट जीएसटी है और उससे कम दाम के कपड़ों पर 5 परसेंट। ब्रांडेड कपड़े ज्यादातर 1000 रुपए से ज्यादा कीमत के होते हैं।

रिटेलर क्यों नहीं दे पाता डिस्काउंट

-रिटेलर कपड़ों पर डिस्काउंट नहीं दे सकता, क्योंकि व्यापार की सारी नीति उसे ही तय करनी पड़ती है।

-खुदरा व्यवसायी एक लिमिट तक स्टॉक करता है, ताकि स्टॉक आउट ऑफ डेट न हो जाए।

-स्टॉक पुराना होने पर ही रिटेलर डिस्काउंट ऑफर की स्कीम शुरू करता है।

-रिटेलर की कोशिश होती है कि वह मैन्यूफैक्चरर से उतना ही माल उठाए, जितना वह बेच सकता है।

वर्जन-

दस साल पहले डिस्काउंट का प्रचलन नहीं था। लेकिन लगातार मॉल कल्चर में डिस्काउंट की प्रथा चलने से रिटेल मार्केट में भी यह प्रचलन शुरू हो गया है। यह सच है कि मॉल में ऑफरों की भरमार रहती है। उसकी सबसे बड़ी वजह है कि बड़ी कंपनियों का अपना वर्किंग कल्चर होता है और एक्सप‌र्ट्स बाजार के मिजाज से स्ट्रेटजी तैयार करते हैं।

- अंचल किंगर, एचआर सिल्क, अपर बाजार

बड़ी कंपनियां बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन करती हैं और वॉल्यूम प्रोडक्शन का ज्यादा होता है। ऑफ पीरियड में ऑफर निकालती हैं। चूंकि वो कंपनी बड़ी हैं तो उनमें नुकसान झेलने की क्षमता भी है। दूसरी बड़ी वजह ये है कि अगर कोई प्रोडक्ट नहीं बिकता है और अगर कंपनी उसे वापस मंगाती है तो कॉस्ट बढ़ने के बाद भी उसकी कीमत उतनी नहीं होनी चाहिए। इसलिए ऑफ सीजन में ऐसे प्रोडक्ट पर ऑफर निकालती हैं।

- प्रवीण लोहिया, थोक वस्त्र विक्रेता संघ

Posted By: Inextlive