- वाहनों के वीआईपी नंबर के लिए अब ऑनलाइन होगी बोली

- नंबरों के ऑक्शन में आप घर बैठे हो सकेंगे शामिल

- नंबर के लिए ब्रोकर्स के नहीं काटने होंगे चक्कर, बढ़ेगा राजस्व

DEHRADUN: वाहनों के वीआईपी नंबर लेने के लिए अब पहले आओ, पहले पाओ की व्यवस्था बंद हो गई है। अब आपको अगर अपने वाहन के लिए वीआईपी नंबर चाहिए तो इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा और ऑक्शन में भी आप ऑनलाइन शामिल हो पाओगे। इस प्रक्रिया से वीआईपी नंबरों को लेकर अक्सर पैदा होने वाले विवाद की स्थिति से बचा जा सकेगा साथ ही विभाग को भी इससे ज्यादा राजस्व मिल पाएगा। इस व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब आवेदक को वीआईपी नंबर लेने के लिए ब्रोकर्स के चक्कर नहीं काटने होंगे। इसी महीने से परिवहन विभाग यह व्यवस्था शुरू करने जा रहा है।

पहले आओ, पहले पाओ सिस्टम बंद

अब तक वाहनों के वीआईपी नंबर मैनुअल प्रक्रिया से अलॉट किये जाते रहे हैं। वाहन स्वामी को वीआईपी नंबर लेने के लिए पहले लिखित आवेदन करना पड़ता था, उसके बाद लॉटरी सिस्टम से उन्हें नंबर मिलता था। मैनुअल प्रक्रिया में वीआईपी नंबर के लिए ब्रोकर्स के चक्कर काटने पड़ते थे। साथ ही राजनीतिक एप्रोच रखने वाले लोगों को नंबर आसानी से मिल जाया करते थे और आम आदमी की वीआईपी नंबर की इच्छा आसानी से पूरी नहीं होती थी। कई बार वीआईपी नंबरों को लेकर विवाद की स्थितियां भी सामने आती थीं। अब विभाग ने इस सभी दिक्कतों को दूर करने के लिए इसी महीने से वीआईपी नंबर के लिए ऑनलाइन एप्लाई करने की व्यवस्था शुरू करने जा रहा है। जल्द ही इसके लिए डेमो दिया जाएगा। वीआईपी नंबर के ऑनलाइन ऑक्शन में आप घर बैठे शामिल हो सकते हैं। जो ज्यादा बोली लगाएगा, उसे नंबर एलॉट कर दिया जाएगा। अभी तक पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर नंबर जारी किए जाते थे।

तय समय में रजिस्ट्रेशन जरूरी

वाहनों के लिए सबसे ज्यादा 000क् और 078म् नंबर की डिमांड रहती है। इन दोनों नंबरों के रेट एक लाख रुपए निर्धारित थे। इसके बाद अन्य नंबरों के लिए पांच हजार से लेकर म्0,000 तक रेट वसूले जाते थे। अब परिवहन विभाग ने इन नंबरों की नीलामी का निर्णय लिया है। जो सबसे ज्यादा बोली लगाएगा उसे वीआईपी नंबर मिलेगा। यह भी तय किया गया है कि यदि किसी ने बोली लगाने के फ्0 दिन के भीतर वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो बोली की रकम का ख्भ् परसेंट अतिरिक्त देना होगा।

विभाग का बढ़ेगा राजस्व

नीलामी प्रक्रिया लागू होने से वीआईपी नंबरों को लेकर विवाद की स्थिति से तो बचा ही जा सकेगा, विभाग को इससे काफी फायदा होगा। बोली लगने से वीआईपी नंबरों को ऊंची कीमत पर खरीदा जाएगा और इससे विभाग का रेवेन्यू बढ़ेगा।

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जल्द ही ऑनलाइन बोली की प्रक्रिया शुरू होगी। इससे वीआईपी नम्बर लेने वाले लोगों को सहूलियत होगी और यह बात भी सही है कि विभाग का राजस्व भी इस व्यवस्था से बढ़ेगा।

- सुधांशु गर्ग, आरटीओ।

Posted By: Inextlive