मुंबई कोलकाता और बेंगलुरु में बैठे 43 सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के देश भर में फैले हैं एजेंट। गली-गली में चल रहा जालसाजी का धंधा डेवलपर्स पर नकेल कसने की तैयारी में एसटीएफ।

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LUCKNOW: तत्काल या सामान्य ऑनलाइन रिजर्वेशन खुलने के कुछ ही सेकेंड में सभी टिकट बुक होने के 'चमत्कार' को अंजाम देने वाले मास्टरमाइंड हर रोज लाखों पैसेंजर्स के टिकट छीन रहे हैं। दरअसल, यह उन मास्टरमाइंड द्वारा बनाए गए सॉफ्टवेयर से संभव हो रहा और अब तक न तो उन तक रेलवे इंटेलिजेंस पहुंच पाई और न ही सिक्योरिटी एजेंसियां। हालांकि, सोमवार को दबोचे गए सॉफ्टवेयर के दो एजेंटों से हुई पूछताछ और इनके नेटवर्क की जांच के बाद यूपी एसटीएफ के राडार पर 43 सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के बारे में सुराग हाथ लगे हैं, अब एसटीएफ इन पर कानून का शिकंजा कसने की तैयारी में है।

 

10 सेकेंड में पीएनआर जेनरेट

आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर ऑनलाइन रिजर्वेशन में सेंधमारी कर टिकटों की लूट का यह खेल कई सॉफ्टवेयर के जरिए अंजाम दिया जाता है। इस फर्जीवाड़े का खुलासा करने वाली एसटीएफ टीम के प्रभारी एएसपी डॉ। त्रिवेणी सिंह ने बताया कि जालसाजों द्वारा डेवलप किये गए सॉफ्टवेयर पर आईआरसीटीसी का डमी रिजर्वेशन फॉर्म पहले से मिल जाता है। जिस पर यह जालसाज पैसेंजर्स डिटेल व पेमेंट डिटेल पहले से भर लेते हैं। रिजर्वेशन खुलते ही यह डमी फॉर्म आईआरसीटीसी की वेबसाइट में एंटर हो जाता है और महज 10 सेकेंड में इन टिकटों पर पीएनआर जेनरेट हो जाता है। दिलचस्प बात यह है कि सॉफ्टवेयर की मदद से वेबसाइट के कैपचा व ओटीपी को भी बाईपास कर लिया जाता है।

 

सैकड़ों एजेंट, लाखों टिकट का फर्जीवाड़ा

एएसपी डॉ। त्रिवेणी सिंह ने बताया कि सोमवार को दबोचे गए सॉफ्टवेयर के एजेंटों ने कुबूल किया कि वे बीते दो सालों में अब तक 8 हजार से अधिक लोगों को यह सॉफ्टवेयर बेच चुके हैं। आलम यह है कि इतनी भादी तादाद में सॉफ्टवेयर बेचने वाले इन एजेंटों को सॉफ्टवेयर खरीदने वाले याद तक नहीं। डॉ। सिंह ने बताया कि इनके जैसे सैकड़ों एजेंट देश व प्रदेश भर में घूम-घूमकर यह सॉफ्टवेयर बेच रहे हैं। यही वजह है कि ऑनलाइन टिकटों का फर्जीवाड़ा करने वाले जालसाज गली-गली में बैठे हैं। यह जालसाज हर रोज लाखों आम पैसेंजर्स के टिकट छीनकर मोटी कीमत वसूलकर लोगों को बेच रहे हैं।

 

43 सॉफ्टवेयर डेवलपर्स राडार पर

यूपी एसटीएफ की जांच में ऑनलाइन टिकटों में फर्जीवाड़ा करने वाले सॉफ्टवेयर के 43 डेवलपर्स के बारे में सुराग लगा है। एसटीएफ सूत्रों ने बताया कि यह सभी सॉफ्टवेयर डेवलपर्स मुंबई, पुणे, कोलकाता और बेंगलुरु में मौजूद हैं। सूत्रों ने बताया कि एसटीएफ को जिन सॉफ्टवेयर डेवलपर्स की तलाश है उनमें मुंबई के रामेश्वर पांडेय उर्फ अवधेश पांडेय, राम सिंह, सरफराज, शमशेर सिंह, रीतू, लव कुमार सिंह, इंजीनियर, सत्यम जोशी, मनीष, अरुण पांडेय, पंकज, कोलकाता निवासी मीनोबार बीबी डब्लूबी, एसके अशऱफुल गोनी, शमशेर सिंह इंजीनियर 2, साहिल रियाज, शेखर पोद्दार, अशोक सेन, राजू विश्वास, नवीन प्रजापति, बेंगलुरु निवासी शमशेर आलम, मो। अमीर, सलमान सलीम खान, न्यूमान खान, मो। हमीद अशरफ उर्फ अमित कुमार, रईस अहमद, जेम्स बांड, अभिजित घोष, राजू विश्वास, प्रवीण और दास सोमन आदि शामिल हैं।

 

पहले किराये पर अब सीधे बिक्री

डॉ। त्रिवेणी सिंह ने बताया कि अब तक की पड़ताल में पता चला है कि पहले सॉफ्टवेयर डेवलपर्स वेबसाइट के जरिए यह सॉफ्टवेयर किराये पर देते थे। यह सॉफ्टवेयर लेने वाले टिकट वेंडर टिकटों की संख्या के मुताबिक हर महीने भुगतान देते थे। दो टिकट बुक करने वाले सॉफ्टवेयर के एवज में 2000 रुपये, चार टिकटों की बुकिंग करने वाले सॉफ्टवेयर के 2400 रुपये, छह टिकट वाले 2800 रुपये और 12 टिकट बुकिंग वाले सॉफ्टवेयर के एवज में 4400 रुपये मासिक वसूले जाते थे। हालांकि, धरपकड़ से बचने के लिये इन वेबसाइटों ने सॉफ्टवेयर बेचने से तौबा कर ली। अब यह साफ्टवेयर डेवलपर्स एजेंटों के जरिए इसे देशभर में सीधे बिक्री करते हैं।

Posted By: Inextlive