रूसा की वेबसाइट और ऑनलाइन रिसोर्स सेंटर शुरू करने की भी हुई घोषणा

DEHRADUN: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से क्ख्वीं योजना जल्द ही समाप्ति की ओर है। जबकि इस योजना में कॉलेजों को मिले अनुदान का ख्0 फीसद ही अभी तक मिल पाया है। ऐसे में अंतिम समय में शेष राशि मिलने पर निर्धारित समय में उसे खर्च कर पाना मुश्किल होगा। रूसा की प्रदेश स्तरीय कार्यशाला में शिरकत करने पहुंची यूजीसी की संयुक्त सचिव के सामने यह मुद्दा उठाया गया।

यूजीसी की योजनाओं की दी जानकारी

मंगलवार को 'उच्च शिक्षा में अकादमिक श्रेष्ठता के लिए नेतृत्व विकास' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान की प्रदेश स्तरीय कार्यशाला के अंतिम दिन यूजीसी की संयुक्त सचिव डॉ। ममता रानी अग्रवाल ने यूजीसी की योजनाओं और भावी योजनाओं पर प्रजेंटेशन दिया। इस दौरान सवाल जबाव का भी दौर खूब चला। इससे पूर्व कार्यशाला के पहले सत्र में यूसैक के निदेशक प्रो। दुर्गेश पंत ने डिजिटल शिक्षण, डिजिटल सामग्री और मौक पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। इसी कड़ी में नैक विशेषज्ञ कानपुर विवि की प्रो। मृदुला भदौरिया ने प्राचार्यो और कुलसचिवों को नैक के निरीक्षण से पूर्व की जाने वाली तैयारियों पर जानकारी दी। उन्होंने दस्तावेजों के प्रस्तुतिकरण और तैयार करने पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उत्कृष्टता के लिए करें काम

समापन सत्र में यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ। राजेंद्र डोभाल ने कहा कि सभी संस्थान उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए काम करें। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय उदाहरण देते हुए नेतृत्व विकास के विभिन्न चरणों को समझाया। अपर सचिव उच्च शिक्षा नितिन भदौरिया ने कहा कि नैक के लिए सभी संस्थान उच्च श्रेणी की रिपोर्ट तैयार करें। इस मौके पर रूसा की वेबसाइट और ऑनलाइन रिसोर्स सेंटर शुरू करने की घोषणा की।

राज्य में विशेष कोर्सो की संभावना

कार्यशाला में यूजीसी की संयुक्त सचिव ने यूजीसी द्वारा दिए जा रहे अनुदान पर जानकारी के दौरान कहा कि उत्तराखंड में विशेष भौगोलिकता के कारण विशेष कोर्सो के लिए काफी संभावनाएं हैं। यूजीसी की स्पेशल अस्सिटेंस स्कीम (सैप) के तहत विश्वविद्यालयों के संकाय विशेष कोर्स संचालित कर सकते हैं। ये कोर्स समाज के हित में होने चाहिए। उन्होंने कहा कि यूजीसी देशभर में 8फ्म् संकायों को इस स्कीम के तहत बीते सत्र में फ्क्.ख्भ् करोड़ का अनुदान दे चुका है। उत्तराखंड में रबड़ उत्पादन, जड़ी-बूटी उत्पादन समेत विभिन्न विषयों पर विशेष कोर्स शुरू किए जाने चाहिएं। इसके लिए संस्थानों को आगे आना होगा।

Posted By: Inextlive