- ये एडमिशन भी सिर्फ कुछ चुनिंदा कॉलेजों में ही हुए हैं

- राजधानी के कई कॉलेज पहुंच गए मंदी की कगार पर

- जॉब न मिलने से तकनीकी कॉलेजों में कम हुए एडमिशन

- सिविल ब्रांच में अधिकतर कॉलेजों में न के बराबर एडमिशन

- तकनीकी कॉलेजों पर पड़ी मंदी की मार, अभी भी हजारों सीटें खाली

LUCKNOW :

एकेटीयू में इस साल एसईई की काउंसलिंग से सिर्फ 13.77 फीसद सीटें ही भरी हैं। यह आकड़ा बीते कुछ सालों की तुलना में काफी कम है। ऐसे में इस बार फिर एकेटीयू के कॉलेजों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि विभिन्न क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था की सुस्त रफ्तार की मार प्रदेश के तकनीकी-प्रबंधन कॉलेजों पर भी पड़ी हैं। सत्र 2019-20 के लिए कॉलेजों में एडमिशन की स्थिति खराब है।

एडमिशन का बुरा हाल

काउंसिलिंग से कॉलेजों में सिर्फ 13.77 प्रतिशत सीटों पर एडमिशन हुए हैं। यह एडमिशन भी प्रदेश के कुछ चुनिंदा कॉलेजों में हुए हैं। मैनेजमेंट कोटे में डायरेक्ट एडमिशन के बावजूद कॉलेजों की हालत खराब है। राजधानी के कई कॉलेज पूरी तरह से बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं। बीते वषरें में सर्वाधिक एडमिशन पाने वाले दो कॉलेजों में भी इस साल बीते वर्ष के सापेक्ष लगभग आधे एडमिशन हुए हैं।

कॉलेजों को भरनी पड़ी सीटें

लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद नौकरी नहीं मिलने से तकनीकी कॉलेजों में एडमिशन कम हुए हैं। एकेटीयू के तथ्यों के अनुसार इस साल काउंसिलिंग में कुल 1 लाख 54 हजार 430 सीटों में से मात्र 21 हजार 777 एडमिशन हुए। ऐसे में कॉलेजों में सिर्फ 13.77 फीसदी एडमिशन हुए, यानी कॉलेजों में 86.23 सीटों पर काउंसिलिंग से एडमिशन नहीं हुए। ऐसे में ये सीटें भरने की जिम्मेदारी कॉलेज मैनेजमेंट पर आ गई। कॉलेज अपने कोटे से 50 प्रतिशत सीटों पर एडमिशन तो कर सकता है बाकि शेष खाली सीटों को भरना कॉलेज मैनेजमेंट के लिए भी चुनौती भरा है। सिविल ब्रांच में इस वर्ष अधिकांश कॉलेजों में न के बराबर एडमिशन हुए हैं।

दिख रहा मंदी का असर

रूबिक्स ट्रोस्ट्रम के डायरेक्टर इं। आदित्य कुमार ने बताया कि विश्व इस समय आर्थिक मंदी से गुजर रहा है। इससे तकनीकि और मैनेजमेंट कॉलेजों भी अछूते नहीं हैं। मंदी से प्लेसमेंट कराने में कॉलेजों को काफी दिक्कतें आ रही हैं। तकनीकि क्षेत्र में जॉब ऑपरच्युनिटी का कम होना भी कम एडमिशन का एक कारण है।

Posted By: Inextlive