-नेशनल हेल्थ सर्वे में सामने आया गोरखपुर का चौंका देना वाला डाटा

-यूपी में आंकड़ा सिर्फ 25 परसेंट के आसपास

-मां का पहला दूध बच्चों की सेहत के लिए काफी जरूरी

-दस्त और निमोनिया से लाडले की करता है हिफाजत

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र:

मां का पहला दूध बच्चों के लिए वरदान है। पहले घंटे का पीला गाढ़ा दूध न सिर्फ बच्चों को बीमारियों से बचाता है, बल्कि उनकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। बड़े बुजुर्ग इन नुस्खों को अपने बच्चों तक पहुंचाते हैं और पहले घंटे में बच्चों को मां के करीब पहुंचाते हैं। मगर भागती दौड़ती जिंदगी में यह मुमकिन नहीं हो पा रहा है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। इसके मुताबिक, प्रदेश में एक घंटे के अंदर फीडिंग कराने की दर अभी महज 25.2 परसेंट है, जो काफी कम है। इसमें भी गोरखपुर के आंकड़ों की बात की जाए, तो यह भी करीब 38 परसेंट ही है।

दस्त और निमोनिया को देता है मात

नवजात बच्चों को पहले घंटे में मां का दूध पिलाने से कई तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है। खास तौर पर इससे शुरुआती दिनों में होने वाले दस्त और निमोनिया से काफी हद तक राहत मिल जाती है। मगर यूपी में यह आंकड़ा काफी कम है। छह माह तक बच्चों को सिर्फ फीडिंग कराने की दर भी यहां ठीक नहीं है। यूपी में यह आंकड़ा 41.6 फीसदी है, जो कि अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी कम है। गोरखपुर की बात करें तो छह माह तक केवल फीडिंग की दर 56.6 फीसदी है। लैनसेट स्टडी मैटर्नल एंड चाइल्ड न्यूट्रिक्शन सीरीज 2008 के मुताबिक छह माह तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में करीब 11 फीसद और 15 फीसद कमी लाई जा सकती है।

शुरुआती 1000 दिन बच्चे के लिए अहम

जिले में इस आंकड़े को सुधारने के लिए स्वास्थ्य महकमा दिल जान से जुट गया है। सितंबर में मनाए जा रहे पोषण माह के दौरान एक्सप‌र्ट्स इस बात की खास अपील कर रहे हैं कि मां और बच्चे के पोषण का खास ख्याल रखा जाए। मां बनने के बाद पहले एक हजार दिनों में मातृ पोषण, पैदा होने के बाद ब्रेस्टफीडिंग, 6 माह तक सिर्फ फीडिंग, इसमें पानी भी न देने की सलाह दी जा रही है। वहीं, 6 माह के बाद फीडिंग के साथ मां और बच्चों को क्या-क्या आहार देना चाहिए, इसके लिए लगातार अवेयरेनस फैलाई जा रही है।

न्यूट्रिशन का बच्चों पर भी असर

बीआरडी मेडिकल कॉलेज की गाइनी डिपार्टमेंट की पूर्व अध्यक्ष डॉ। रीना श्रीवास्तव की मानें तो मां और बच्चे की हेल्थ के लिए डॉक्टर्स की सलाह काफी जरूरी है। प्रेग्नेंट महिला का प्रॉपर न्यूट्रिशन गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी लांग टर्म रिजल्ट नजर आते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान मां का पूरा आहार बच्चों की लंबाई और ऊंचाई पर पॉसिटिव इफेक्ट डालता है। कंप्लीट डाइट न मिलने पर बच्चे के आईक्यू का विकास भी नहीं हो पाता। बच्ची होने पर इसका असर फ्यूचर में उसके बच्चे पर भी पड़ता है।

यह है जरूरी

-प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को रोजाना खाने में आयरन व फॉलिक एसिड की सही मात्रा लेना भी जरुरी है।

-एक गर्भवती महिला को ज्यादा से ज्यादा डाइट लेनी चाहिए और उसमें फर्क करते रहना चाहिए।

-प्रेग्नेंसी से पहले 1000 दिन बच्चे के शुरुआती जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है।

-प्राइमरी स्टेज में प्रॉपर न्यूट्रिशन न मिलने से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास रुक सकता है, जिसकी भरपाई बाद में नहीं हो पाती है।

-6 से 8 माह के बच्चों को फीडिंग के साथ करीब 250 मिलीलीटर की आधी कटोरी दो बार अर्धठोस भोजन के साथ दो बार पौष्टिक नाश्ता देना चाहिए।

- 9 से 11 माह के बच्चों को फीडिंग के साथ 250 मिलीलीटर की 2/3 कटोरी तीन बार अर्धठोस भोजन के साथ दो बार पौष्टिक नाश्ता देना चाहिए।

- 12 से 24 माह तक के बच्चों को फीडिंग के साथ 250 मिलीलीटर की एक कटोरी तीन बार अर्धठोस भोजन व तीन बार पौष्टिक नाश्ता भी देना चाहिए।

Posted By: Inextlive