एक्सकलूसिव

-रेलवे हॉस्पिटल का प्राइवेट नर्सिगहोम्स से कॉन्ट्रैक्ट खत्म, इलाज के लिए भटक रहे रेलवे कर्मी

-वायरल पीडि़त मरीजों से फुल है हॉस्पिटल, प्राइवेट हॉस्पिटल्स के अलावा नहीं कोई चारा

-समस्या से परेशान रेलवे कर्मचारियों ने थर्सडे को अस्पताल में किया जमकर हंगामा

KANPUR : रेलवे के सात हजार कर्मचारियों व उनके परिवार के ट्रीटमेंट को रेलवे द्वारा सिर्फ नौ कर्मचारियों की तैनाती की गई है। इसमें सिर्फ दो डॉक्टर स्टेशन में यात्रियों को चिकित्सा सेवा देने के लिए तैनात हैं। इस स्थिति में रेलवे के मुख्य अस्पताल में सिर्फ चार से पांच डॉक्टर ही रहते हैं, जो हजारों पेशेंट्स को संभाल ही नहीं पाते हैं। वहीं कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए रेलवे ने शहर के तीन बड़े प्राइवेट नर्सिगहोम को अटैच किया था। पेमेंट पूरा न होने पर नर्सिगहोम्स के संचालकों ने भी किनारा कर लिया है। इस समस्या के समाधान को थर्सडे एनसीआरईएस यूनियन के पदाधिकारियों ने रेलवे लोको अस्पताल में जमकर हंगामा किया। वहीं चिकित्सा अधिकारियों ने दो नर्सिगहोम को दोबारा अटैच करने के लिए दो दिन का समय मांगा है।

लेटेस्ट टेक्नोलॉजी सिर्फ सपना

एनसीआरईएस के मंडल अध्यक्ष मान सिंह ने बताया कि कानपुर शहर में रेलवे के सात हजार कर्मचारी व उनके परिवार के लगभग 30 से 40 हजार सदस्य रहते हैं। उनका उपचार सिर्फ पांच डॉक्टर कैसे कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि रेलवे लोको अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन तक नहीं है। ब्लड की जांच कराने के लिए प्राइवेट लैब का रुख करना पड़ता है।

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1000 पेशेंट की प्रतिदिन ओपीडी

रेलवे यूनियन के पदाधिकारियों की मानें तो रेलवे लोको अस्पताल कानपुर में रेलवे का सबसे बड़ा अस्पताल है। जहां प्रतिदिन लगभग एक हजार मरीजों की ओपीडी होती है। अस्पताल में एक दो डॉक्टरों को छोड़ कर कोई स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है। ऐसी स्थित में रेलवे कर्मचारी व उनका परिवार प्राइवेट हॉस्पिटल में उपचार कराने को मजबूर है। जबकि उपचार आदि के लिए प्रति माह कर्मियों की सैलरी से रुपए कटते हैं। अस्पताल की व्यवस्थाएं दम तोड़ने की कगार पर हैं।

Posted By: Inextlive