रिहायश के बीच आठ बाई आठ के कमरे में दो दिन तक बोरे में पड़ा रहा पिता का शव

शनिवार रात्रि आबादी के बीच पुत्री ने सगे चाचा के साथ मिलकर किया पिता का कत्ल, शव को लगाई आग

परतापुर थानाक्षेत्र कीसनसनीखेज वारदात ने खड़े किए रोंगेटे, मौके पर मिला चाकू और दराती

Meerut: उफ ये कैसे रिश्ते और ये कैसा समाज? आशीष पिछले कई महीनों से अपनी बेटी दीपा के सगे भाई अजय के साथ संबंधों से परेशान था तो कोई ऐसा उसके आसपास नहीं था जो इस विषम परिस्थिति में उसका साथ देता। उसने कोशिश भी की, कई बार भाई-भाई में झगड़ा भी हुआ किंतु न अजय घर छोड़कर जाने को राजी होता था और न दीपा उसे छोड़ने को। थकहार कर आठ बाई आठ के कमरे में रात गुजारना आशीष के लिए मुश्किल होता था। हद से गुजरने के बाद तो आशीष ने टोकाटाकी बंद कर दी थी, फिर हत्या क्यों की? ये सवाल रिठानी की गलियों में गूंज रहा था तो वहीं लोग गुरुवार रात्रि हुए घटनाक्रम पर भी चुप्पी साधे थे।

घर मे रह रहे कई परिवार

यह एक बेहद सामान्य सा मकान है जिसे किराएदारों के पर्पज से ही बनाया गया है। दोनों और कमरे और बीच में गैलरी। मकान में कई किराएदारों के अलावा मकान मालिक के नाम पर एक वृद्धा मीता रहती हैं। यह मकान किशनचंद्र का है जिनकी मृत्यु हो चुकी है ऐसे में मीता ही किराएदार रखती है और उनसे किराए का हिसाब लेती है। घटनाक्रम के दौरान भी मकान में मीता के अलावा दो-तीन किराएदार परिवार के साथ रहते थे। किंतु किसी को कानोंकान भनक तक नहीं लगी। शव को करीब 24 घंटे तक बोरे में भरकर एक कोने में टिकाकर रखा गया, हत्यारोपी बेटी और भाई भी आसपास भी मंडराते रहे किंतु किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

नहीं पड़ी नजर

रिठानी और शताब्दीनगर के बार्डर पर स्थित मकान के आसपास रिहायश भी है तो कुछ फैक्ट्रियां भी बनी है। दिन और रात में चहल-पहल स्वाभाविक है। ऐसे में महज चंद कदम की दूरी पर ले जाकर शव को आग के हवाले करना आसान काम नहीं है तो वहीं लोगों की नजर भी पड़ सकती है। इसे आसपास के लोगों की संवेदनहीनता ही कहेंगे कि बड़े घटनाक्रम को अंजाम देकर आरोपी आसानी से फरार हो गए। वहीं पुलिस गश्त पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

सोते पर रेता गला

पुलिस के मुताबिक हत्यारोपियों ने आशीष की हत्या सोते समय की। जिस चाकू से अजय ने आशीष का गला रेता वो चाकू उसके पास हमेशा रहता था। पुलिस को वो चाकू घटनास्थल से बरामद भी हुआ। बोरे में भरने से पहले शव को क्षत-विक्षत किया गया, एक दराती की पुलिस को मौके से मिली है। सूचना पर पहुंची फोरेंसिक टीम ने कमरे में हत्याकांड के साक्ष्य जुटाए। डाग एक्वायड टीम ने भी सुरागशी की। सीओ हरिमोहन सिंह के निर्देशन में करीब 2 घंटे तक सर्च ऑपरेशन चलाया गया।

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ऐसे अपराध को हेट क्राइम की श्रेणी में रखते हैं। उनका मानना है कि रिपीटेड मिसटेक के बाद क्रमिनल इस तरह की प्लानिंग शुरू कर देते हैं। अपने सगे-संबंधियों को मौत के घाट उतारना यदि मुश्किल है तो वहीं एक साइकोलॉजिकल डिस्आर्डर के चलते अपराधी इसे आसानी से अंजाम देते हैं। इतना ही नहीं 24 घंटे से अधिक समय से शव रखना और उसे खुर्द-बुर्द करने की प्लानिंग भी लोग टीवी सीरियल देखकर बनाते हैं।

-डॉ। रवि राणा, मनो चिकित्सक

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पेरेटिंग पर सबकुछ डिपेंड करता है। रिश्तों की सच्चाई जो बच्चा अपने सामने देखेगा उसका रिश्तों पर क्या भरोसा रहेगा? पूरा दोष लड़की को देना मेरे दृष्टिकोण से सही है। संस्कार, महज संस्कार नहीं रूल्स है। परिवेश टूटने लगता है तो बच्चा भी उसी उसी में ढल जाता है। उम्र कच्ची में सोचने समझने की शक्ति नहीं होती। आजकल बच्चों में अग्रेशन बेहद है पाया जाता है। रियलाइजेशन वाला कांसेप्ट समाप्त हो गया है। मृतक के भाई की भूमिका एक असामाजिक तत्व की है जो समाज के लिए नासूर है।

-डॉ। विभा नागर, साइकोलॉजिस्ट

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रेप के केसेस रिश्तेदार और पारिवारिक 90 फीसदी शामिल होते हैं। ऐसे ही हीनियस क्राइम के पीछे भी कहीं न कहीं अपनों का शामिल होना देखा जा रहा है। यह समाज के लिए शुभ संकेत नहीं हैं तो वहीं इसके पीछे की वजह यह है कि आज फैमिलीज में रिलेशनशिप के बारे में बताने वाला, गाइड करने वाला नहीं है। बच्चों में संस्कार की जिम्मेदारी मां ही होती है और पेरेंट्स का बच्चों के साथ कम्यूनिकेशन न करना बड़ी वजह है।

-डॉ। दीप्ति कौशिक, विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र, इस्माईल महिला पीजी कॉलेज

Posted By: Inextlive