कोरोना वायरस संकट व लाॅकडाउन 3.0 के बीच सोमवार से देश में शराब की दुकानें खुलने से महिलाओं को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ सकता है। महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले सोशल एक्टिविस्ट का मानना है कि शराब की दुकानें खोलने के सरकार के फैसले के लिए अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। यहां जानें सोशल एक्टिविस्ट की राय...

नई दिल्ली (आईएएनएस)। कोरोना वायरस संकट और लाॅकडाउन के बीच देश के अधिकांश हिस्सों में शराब की दुकानें खुल गई है। इससे एक ओर जहां शाैकीन लोग खुश हो रहे हैं वहीं महिला व सोशल एक्टिविस्ट चिंतित हो रही हैं। इस संबंध में सोशल एक्टिविस्ट और सेंटर फॉर सोशल रिसर्च (सीएसआर) की निदेशक डॉक्टर रंजना कुमारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, सरकार के अपने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार पुरुषों द्वारा शराब के उपयोग और हिंसा के बीच सीधा संबंध है। ऐसे में इस समय यह निश्चित रूप से बढ़ जाएगा। पहले से ही घरेलू हिंसा के दो गुना अधिक मामले एनसीडब्ल्यू को सूचित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मदद के लिए कॉल करने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई थी।

शराब लोगों के लिए सबसे अच्छा विकल्प नहीं है

हमें अपने परामर्श केंद्र में सामान्य से अधिक कॉल भी आए हैं। पिछले 30 दिनों में हमें 27 कॉल आए हैं। शराब की दुकानें खोलना राजस्व पैदा करने वाली चीज हो सकती है, लेकिन ऐसे समय में जब लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है, आय कम हो गई है, परिवारों में पहले से ही आर्थिक तनाव है। शराब लोगों के लिए सबसे अच्छा विकल्प नहीं है जो सरकार लोगों को दे रही है। यह पैसे का उपयोग करने के मामले में परिवार की अर्थव्यवस्था में कटौती करेगा। बेहतर स्वास्थ्य उत्पाद खरीदने के बजाय पुरुष शराब खरीदने में पैसे का उपयोग करेंगे।

शराब के सेवन के कारण घरेलू हिंसा के शिकार होंगी

वहीं एक अन्य वूमेन राइट्स एक्टिविस्ट शमीना शफीक ने आईएएनएस को बताया कि ऐसी संभावना है कि महिलाएं और बच्चे पुरुषों द्वारा शराब के सेवन के कारण घरेलू हिंसा के शिकार होंगे। यह सौ प्रतिशत सच है। सरकार पहले ही महिलाओं के अधिकारों के प्रति असंवेदनशील है। यह कदम घरेलू हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं और बच्चों की दुर्दशा को बढ़ाएगा। हमने पहले ही लॉकडाउन एक और दो में ऐसे मामलों में वृद्धि देखी और अब लॉकडाउन 3.0 में यह और भी खराब होगा।

नशे में धुत हो महिलाओं और बच्चों को पीटेंगे

शराबी पुरुष पैसे छीनकर शराब खरीदेंगे। वह भी वो पैसे जो महिलाओं ने मुश्किल समय के लिए बचाए हैं। वे नशे में धुत हो जाएंगे और घर में महिलाओं और बच्चों को पीटेंगे। उन्होंने कहा कि लोग इन दिनों पहले से ही वित्तीय कठिनाई का सामना कर रहे हैं। नौकरी छूटने, वित्तीय समस्याओं आदि जैसे विभिन्न कारणों से वे पहले से ही निराश हैं। यह सिर्फ आग में ईंधन जोड़ेगा। मैं यह समझने में विफल हूं कि ऐसे अपराधों पर संज्ञान लेने के लिए सुरक्षा हितों में दिशानिर्देश देने के लिए सरकार क्या रोक रही है?

सरकार शराब को आवश्यक सेवा कैसे मानती है?

एक अन्य महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना ने आईएएनएस को बताया कि यह सरकार द्वारा लिया गया एक अजीब निर्णय है। यह महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को ही नहीं बल्कि अन्य प्रकार के अपराधों जैसे स्नैचिंग, डकैती आदि को भी बढ़ाएगा। मुझे समझ नहीं आता कि सरकार शराब को आवश्यक सेवा कैसे मानती है? लत कभी भी आवश्यक नहीं हो सकती है। वास्तव में यह लॉकडाउन स्थिति सरकार के लिए इसे लत पर रोक लगाने का एक सही मौका था।

Posted By: Shweta Mishra