-शासन के आदेश पर 1 जुलाई से 31 जुलाई तक चलाया गया था आपरेशन स्माइल

-वर्षो से ओपन शेल्टर होम में रह रहे थे लावारिस

क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ:

शासन के आदेश पर जुलाई माह में चलाए गए ऑपरेशन स्माइल से 3 परिवारों को ही खोई हुई खुशियां वापस मिल पाई हैं। जबकि 4 बच्चों के परिजनों का पता एएचटीयू (एंटी ह्ययूमन ट्रैफकिंग यूनिट) ने लगा लिया है। यह सभी बच्चे ओपन शेल्टर होम कई माह से रह रहे थे। ऑपरेशन स्माइल के तहत सभी बच्चों की काउंसिलिंग चाइल्ड लाइन और एएचटीयू ने मिलकर की थी।

चार बच्चों के नहीं पहुंच पाए परिजन

ऑपरेशन स्माइल के तहत तीन बच्चों के परिजनों की जानकारी मिल जाने पर उन्हें परिजनों को बुलाने के बाद सौंप दिया। जबकि चार बच्चे अभी भी ओपन शेल्टर होम में ऐसे हैं जिनके परिजन पैसों की कमी के चलते अपने लाडले को लेने नहीं पहुंच पा रहे हैं। जब एएचटीयू ने उनके परिजनों को सूचना दी तो वह खुश तो हुए लेकिन अपनी मजबूरी बताते हुए कुछ दिन के लिए समय मांगा। जिस पर एएचटीयू ने उन्हें जल्द से जल्द बरेली पहुंचकर बच्चों को ले जाने के लिए कहा है।

ये बच्चे पहुंचे घर

रायबरेली निवासी राजकुमार का बेटा संजय 13 वर्ष लुधियाना से गुमशुदा हो गया था। राजकुमार ने बताया कि वह प्राइवेट फैक्ट्री में जॉब करते थे। उनके चार बच्चे हैं जिसमें संजय दूसरे नम्बर का है। संजय को स्कूल भेजने के लिए एडमिशन भी कराया था। जब राजकुमार ड्यूटी चले जाते थे तो संजय स्कूल नहीं जाता था। डांटने पर लुधियाना से 8 फरवरी 2017 को भाग आया और बरेली जंक्शन पहुंच गया। जहां से जीआरपी ने चाइल्ड लाइन को सौंपा था। ऑपरेशन स्माइल के तहत काउंसलिंग कर एएचटीयू ने उसे उसके पिता को सौंप दिया।

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चार माह पहले हुआ थ्ा गुमशुदा

दिल्ली के नागलोई स्टेशन के राजेन्द्र पार्क के पास रहने वाले रामसिंह का 12 वर्षीय बेटा सोनू मार्च 2017 को अचानक लापता हो गया था। वह भोजीपुरा में भटक रहा था। तभी किसी ने उसे थाने पहुंचा दिया। जहां से चाइल्ड लाइन ने शेल्टर होम में भेज दिया। सोनू की कई बार काउंसलिंग की गई तो उसके एड्रेस ठीक से जानकारी नहीं मिल सकी। ऑपरेशन स्माइल के तहत टीम ने सोनू के परिजनों को खोज लिया और उसके पिता को सौंप दिया।

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रास्ता भटक कर पहुंच गया था शहर

बदायूं के थाना फैजगंज के गांव कोरारा निवासी राजपाल का 9 वर्षीय बेटा श्याम बाबू मंद बुद्धि है। वह वहां से किसी तरह रास्ता भटक कर शहर पहुंच गया। जहां से किसी ने उसे आशा ज्योति केन्द्र पहुंचा दिया। आशा ज्योति केन्द्र से उसे चाइल्ड लाइन के बाद शेल्टर होम पहुंचा दिया। काउंसलिंग में वह हर बार गलत एड्रेस बता देता था.सही एड्रेस बताने पर चाइल्ड लाइन और एएचटीयू ने उसे भी उसके परिजनों को सौंप दिया।

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ऑपरेशन स्माइल के तहत बच्चों के परिजनों को तलाश कर उनके घर भेजा गया है। अभी कुछ बच्चे और हैं जिनके परिजनों का पता चला है, उनके परिजनों को सूचना दे दी गई है। जल्द ही उन्हें भी परिजनों को सौंप दिया जाएगा।

सुरेन्द्र सिंह, एएचटीयू प्रभारी

Posted By: Inextlive