-बिना कैंपस आए ही एमएलसी का रजिस्टर पर हो गया हस्ताक्षर, जोरदार हंगामे के बाद निगम कार्यकारिणी का चुनाव स्थगित

-73 लोग पहुंचे थे वोट डालने, पड़े 74 मत, आज फिर होगा चुनाव

-पार्षदों के विरोध के बाद दोषी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की चेतावनी

GORAKHPUR: गोरखपुर नगर निगम कार्यकारिणी के चुनाव में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ, इसके बाद देर शाम चुनाव को निरस्त करना पड़ा। माननीयों की शर्मनाक हरकत के कारण लोगों को शर्मिदगी उठानी पड़ी। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि 73 लोग मतदान करने पहुंचे, लेकिन मत 74 पड़े। विपक्षी पार्षदों का दावा है कि कुछ लोगों ने गलत तरीके से एमएलसी देवेंद्र सिंह का हस्ताक्षर कर वोट डाला। जबकि, एमएलसी एक बार भी कैंपस में आए ही नहीं। इस पर करीब आधे घंटे तक सदन में जमकर नारेबाजी हुई। पार्षद मेयर व नगर आयुक्त के चेयर तक पहुंच गए थे। पार्षदों की मांग पर और भारी शोर-शराबे को देखते हुए मेयर सीताराम जायसवाल ने मतदान प्रक्रिया को निरस्त कर दिया। साथ ही उन्होंने शनिवार शाम 4 बजे से 6 बजे तक दुबारा मतदान व कार्यकारिणी सदस्यों के चयन की प्रक्रिया को पूरा करने की घाेषणा की।

तीन जगह कैसे हुआ फर्जीवाड़ा

एमएलसी के नाम पर वोटिंग अनजाने में या किसी गलती के कारण नहीं हुई, या सोची समझी साजिश के तहत किया गया है। एमएलसी के नाम से तीन जगहों पर सिग्नेचर किया गया है। पार्षदों की उपस्थिति रजिस्टर, मतदाता सूची और मतपत्र पर सिग्नेचर था। अब सवाल उठता है कि क्या चुनाव प्रक्रिया को संपन्न करा रहे कर्मचारी व अधिकारी एमएलसी को पहचानते नहीं हैं? यदि किसी माननीय ने फर्जी दस्तखत कर दिया है तो बिना तैनात कर्मचारियों की मर्जी से ऐसा कैसे मुमकिन है कि तीन बार एक ही फर्जी दस्तखत कर दिया गया।

विधायक व सांसद पहुंचे मतदान करने

कार्यकारिणी चुनाव में आमतौर पर चुनाव की नौबत बेहद कम आती है। पार्टियों की आपसी सहमति से सदस्यों का चुनाव कर लिया जाता है। सपा व भाजपा दोनों ही इस बात पर सहमत थीं कि 3 भाजपा, 2 सपा और एक निर्दलीय पार्षद को कार्यकारिणी सदस्य चुन लिया जाए। लेकिन निर्दलीय पार्षदों की एकता के कारण दोनों पार्टियों की मंशा पर पानी फिर गया। नतीजा सदर सासंद प्रवीण निषाद, नगर विधायक राधामोहन दास अग्रवाल व ग्रामीण विधायक बिपिन सिंह को भी मतदान के लिए नगर निगम आना पड़ा।

निर्दलीय पार्षदों की एकता ने बिगाड़ी गणित

चुनाव के बाद निर्दलीय पार्षदों की पूछ नहीं रह जाती है। पिछले साल के अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार निर्दलीय पार्षद एकजुट हो गए थे। कार्यकारिणी सदस्यों के चुनाव के लिए 4 भाजपा, 2 सपा, 1 कांग्रेस और तीन निर्दलीय पार्षदों सहित 10 सदस्यों ने नामांकन किया था। लेकिन मतदान से पहले ही एक भाजपा और दो निर्दलीय पार्षदों ने पर्चा वापस ले लिया। अब मैदान में सात प्रत्याशी रह गए थे, जबकि चुनाव केवल छह का ही होना था। जीत के लिए प्रत्येक सदस्य को औसतन 12 मत हासिल करने थे, हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है।

निगम बोर्ड में है 76 मतदाता

कार्यकारणी सदस्यों के चुनाव के लिए शुक्रवार को सदन में 76 में से 73 मतदाता उपस्थित थे। नगर निगम अधिनियम के अनुसार, शहर में जिन जनप्रतिनिधियों का निवास होता है। वह भी मतदाता माने जाते हैं। 70 पार्षदों के अलावा, सीएम व एमएलसी योगी आदित्यनाथ, सदर सांसद प्रवीण निषाद, एमएलसी देवेन्द्र सिंह, एमएलसी सीपी चंद, नगर विधायक राधामोहन दास अग्रवाल, ग्रामीण विधायक विपिन सिंह को मतदान करना था।

बवाल हुआ तो पहुंचे जिलाध्यक्ष

सदन में दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान हुआ। इस दौरान जनप्रतिनिधियों सहित निगम के सभी अधिकारी कैंपस में उपस्थित थे। ऐसे में हुए फर्जी मतदान के बाद विपक्ष के पार्षदों ने जमकर हंगामा काटा। चुनाव प्रक्रिया में धांधली की शिकायत पर सपा जिलाध्यक्ष प्रह्लाद यादव व कांग्रेस जिलाध्क्ष राकेश यादव भी नगर निगम पहुंच गए। दोनों पार्टियों के जिलाध्यक्षों ने नगर आयुक्त से मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

वर्जन

फर्जी मतदान करने में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। खुले सदन में फर्जी वोटिंग सदन की गरिमा को साजिशन नष्ट करने का प्रयास माना जाएगा। अगर दोषी ने गलती स्वीकार कर ली तो उसे माफ करने पर विचार किया जाएगा।

सीताराम जायसवाल, मेयर

73 माननीय ने मतदान किया था। जैसे ही पाया गया कि 74 मत पड़ चुके हैं, स्पष्ट हो गया कि एक वोट फर्जी है। मतदान प्रक्रिया को निरस्त दिया गया है। दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अमरेश बहादुर पाल, चुनाव अधिकारी

चुनाव की कानूनी प्रक्रिया को बाधित किया गया है। अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अंजनी कुमार सिंह, नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive