- लंग कैंसर एक्सपर्ट बोले कैंसर का नेचर हर जगह अलग

- टारगेटेड मेडिसिन को बढ़ावा देने की जरूरत

LUCKNOW: लंग कैंसर का कारण हर देश में अलग होता है। भारत में इसकी बड़ी वजह बीड़ी है। लोगों से नो स्मोकिंग कहना आसान है, लेकिन वाकई में छुड़वाना बेहद कठिन। इस बीमारी से पीडि़त पेशेंट जहां पहले महज चंद हफ्ते जीता था, वहीं नई तकनीक और दवा आने से सर्वाइवल रेट 10 साल तक बढ़ गया है। ये जानकारी शनिवार को साइंटफिक कनवेंशन सेंटर में लंग के कैंसर की 10वीं दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन एक्सपर्ट ने दी.

कोट

1. ओरल दवाएं बढ़ा रही ऐज

लंग कैंसर के लिए अब इजीएफआर और एएलके जैसे आधुनिक टेस्ट आ चुके हैं। यह अब अधिकतर जगहों पर हो रहे हैं, जिसके तहत सैंपल लेकर टेस्ट के बाद ओरल दवाएं दी जाती हैं। ऐसे में कीमोथेरेपी देने की जरूरत नहीं होती है। कीमो से जहां पेशेंट की एज महज 1 साल तो वहीं दवाई से 5-6 साल तक बढ़ जाती है। दवा कैंसर के लास्ट स्टेज में भी बेहद कारगर है। हालांकि दवाई महंगी और सस्ती दोनों हैं। कुछ दवाईयां आयुष्मान के तहत हैं और बाकि को भी इसके तहत लाने का प्रयास किया जा रहा है।

- डॉ। नवनीत सिंह

2. कैंसर कारक हर देश में अलग

विदेशों में लंग कैंसर का बड़ा कारण सिगरेट है। वहीं इंडिया में बीड़ी में और इनडोर पॉल्यूशन। हर जगह कैंसर का कारण अलग होता है। डायग्नोसिस अर्ली ऐज में होने के लिए सीटी स्कैन, टिश्यू टेस्ट हो रहे हैं। इसके बाद टारगेटेड मेडिसिन द्वारा इलाज किया जा रहा है। यानि टेस्ट के बाद पता कर सकते हैं कि कौन सी दवाई किसी पेशेंट को ज्यादा फायदा करेगी। इससे लास्ट स्टेज कैंसर पेशेंट को भी फायदा मिलता है। हालांकि टार्गेटेड मेडिसिन से 25 परसेंट पेशेंट को ही फायदा मिलता है। ऐसे में बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है। इसके लिए स्मोकिंग बंद करने के साथ अंगीठी या चूल्हे की जगह एलपीजी गैस का यूज करें क्योंकि इनडोर पॉल्यूशन भी इसकी वजह है।

- डॉ। दिगंबर बेहरा, दिल्ली

3.

7,500 में होती है रेडियोथेरेपी

लंग कैंसर को लेकर कई प्रकार की स्टडी हुई है। इसके तहत तीन तरह के इलाज में अपग्रेडेशन हुआ है। पहला मॉलिक्यूलर टारगेट ट्रीटमेंट, जिसमें पेशेंट को टेस्ट के बाद दवाई दी जाती है। दूसरा रेडियो थेरेपी, इसमें पहले के ट्रीटमेंट एक्सरे के बेस ट्यूमर को देखकर होता था। इसमें कई बार पेशेंट की मौत भी हो जाती थी, लेकिन अब कॉम्प्लीकेशन कम होने से डेथ रेट कम हुआ है। सीटी स्कैन, पेट सीटी स्कैन इमेज को फ्यूज करके जिस एरिया में ट्यूमर नहीं है, उसको एक्सक्लूड करते हुये ट्रीटमेंट कर सकते हैं। तीसरा जिनमें उम्र ज्यादा होने के कारण सर्जरी पॉसीबल नहीं है उनकी एसबीआरटी कर सकते हैं। इसमें 97 परसेंट कंट्रोल के साथ 3 साल तक पेशेंट अधिक जी सकता है। यह 60-85 परसेंट केसेस में देखा गया है, लेकिन इलाज की कास्ट ज्यादा है। पीजीआई में रेडियोथेरेपी का 7,500 रुपये तो प्राइवेट में 3 लाख तक का खर्च आता है। इसके साथ इंडस्ट्रीयल और ऑटोमोबाइल पॉल्यूशन भी लंग कैंसर बढ़ा रहा है। इससे सेल में म्यूटेशन होने से कैंसर के चांस बढ़ते हैं, जो लंग कैंसर होने के चांसेस को 10-15 परसेंट चांसेस ज्यादा होता है।

- डॉ। राकेश कपूर, पीजीआई चंडीगढ़

4. महिलाओं में लंग कैंसर ज्यादा

बांग्लादेश में 16 करोड़ जनता पर महज तीन सौ पल्मोनरी डॉक्टर हैं। आज जो ट्रीटमेंट इंडिया में हो रहा है, उसी को वहां फॉलो कर रहे हैं। लंग कैंसर दूसरी जगहों में मेल में तो हमारे यहां फीमेल में ज्यादा हो रहा है। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि महिलाओं के स्मोकर्स के संपर्क में अधिक आना इसकी वजह है। गरीबों में अधिक स्मोकिंग आज भी हमारे यहां बड़ी प्राब्लम है। इसको देखते हुये गवर्नमेंट ने भी एलपीजी देना शुरू किया है। इसके साथ हम लोग इंडिया के डॉक्टर्स के साथ जुड़कर इसपर काम कर रहे है।

- डॉ। अजीजुर रहमान, (ढाका, बांग्लादेश)

Posted By: Inextlive