Gorakhpur : उत्तर प्रदेश स्टेट इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम यूपीएसईई स्टेट लेवल पर ऑर्गेनाइज हुए इस एग्जाम में सीट भरने की जद्दोजहद शुरू हो चुकी है. कांउसिलिंग और सीट कंफर्मेशन प्रॉसेस खत्म होने के बाद अब सीटें भरने के लाले पड़ गए हैं. पूरे स्टेट में कैंडिडेट्स न सिर्फ एडमिशन से किनारा करते नजर आ रहे हैं बल्कि उनका इंजीनियरिंग से भी रुझान कम होता दिख रहा है. यूपीएसईई काउंसिलिंग में सीट कंफर्मेशन में शामिल होने वाले स्टूडेंट्स की तादाद इस बात को साफ बयां कर रही है.

पहले दिखा स्टूडेंट्स में इंटरेस्ट
पहले तो कैंडिडेट्स ने यूपीएसईई के लिए खूब इंटरेस्ट दिखाया और फॉर्म भरने वाले कैंडिडेट्स की तादाद लाखों में पहुंच गई। लेकिन हाईटेक होते इस दौर ने इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की फील्ड को भी बौना साबित कर दिया है। स्टेट लेवल पर हुए यूपी स्टेट एंट्रेंस एग्जाम (यूपीएसईई) के तहत हुई काउंसलिंग और उससे मिल रहे रुझानों को देखकर इस बात का अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है।
एक लाख से ज्यादा सीटें खाली
हाल ही में खत्म हुई स्टेट लेवल की काउंसलिंग में सीट भरने के लाले पड़ गए हैं। एमएमएमईसी के एक प्रोफेसर की मानें तो फर्स्ट राउंड की काउंसलिंग के बाद करीब 28 से 30,000 सीट ही भर पाएगी। 26 जुलाई तक एलाटेड कालेज में जाकर सीट कंफर्मेशन में भी सैकड़ों स्टूडेंट्स ने अपनी सीट लॉक नहीं की, इससे सीटें खाली होने के चांसेज और भी ज्यादा बढ़ गए हैं। अब तो यह बात तय हो गई है कि इन कोर्सेस में स्टूडेंट्स के रुझान कम होने की वजह से पचास परसेंट से भी ज्यादा सीटें खाली रह जाएंगी।
31 को होगा अपग्रेडेशन का फैसला
26 जुलाई तक सिटी में चले सीट कन्फर्मेशन प्रॉसेस के बाद अपग्रेडेशन राउंड ही बाकी है, जो 31 जुलाई को होगा। जिन्हें सीट एलॉट नहीं हो सकी हैं या फिर उनकी फेवरेट च्वाइस नहीं मिली है, उन्हें अपग्रेडेशन प्रॉसेस से  सीट एलॉट हो जाएगी, इसके थ्रू उन्हें मनचाहे कॉलेज में भी सीट मिलने के चांसेज हैं। 31 जुलाई तक अपग्रेडेशन राउंड की सीट कंफर्म होने के बाद बची हुई सीटों को भरने करने की जिम्मेदारी कालेजेज की होगी।
कॉलेज कर रहे हैं जोर आजमाइश
एक्सपर्ट्स की मानें तो कालेज अभी से जोर लगाने में जुट गए हैं, वह कैंडिडेट्स को तरह-तरह के ऑफर्स भी दे रहे हैं, जिससे कि कैंडिडेट उनके कॉलेज में एडमिशन ले लें। चाहे जितना जोर लगाएं वह ज्यादा से ज्यादा मैनेजमेंट कोटे की सीटें ही भर सकेंगे, इसके बाद भी उनकी काफी सीटें खाली रहने के चासेंज हैं। अब यह पूरी तरह से इंस्टीट्यूट्स पर डिपेंड हैं कि वह अपनी सीट भरने के लिए क्या स्ट्रैटजी अपनाते हैं।

 

report by : syedsaim.rauf@inext.co.in

Posted By: Inextlive