KANPUR: अगर आपका भी सेंट्रल स्टेशन पर अक्सर आना-जाना होता है तो थोड़ा सतर्क हो जाइए. क्योंकि डेली लाखों पैसेंजर्स का बोझ उठाने वाले दोनों फुटओवर ब्रिज कभी भी गिर सकते हैं. ओवरलोड के चलते इन नए फुटओवर ब्रिज का भी बुरा हाल हो चुका है. आप सोच रहे होंगे कि नए फुटओवर ब्रिज का ‘दम’ इतने कम समय में कैसे ‘फूल’ गया? वो इसलिए कि ये ब्रिज कम प्लेटफार्म बन चुके हैं. सैकड़ों पैसेंजर्स अपना बोरिया-बिस्तर लेकर फुटओवर ब्रिज पर ही बैठे रहते हैं. बैठे-बैठे थोड़ी थकान हुई तो वहीं पर बिस्तर लगाकर नींद भी पूरी कर लेते हैं.


रूल्स के खिलाफ
रेलवे फुटओवर ब्रिज नियमावली के अनुसार स्टेशन पर बने फुटओवर ब्रिज का इस्तेमाल एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर आने-जाने के लिए होना चाहिए। फुटओवर ब्रिज पर बैठना या लेटना नियमों के खिलाफ है। इसके बावजूद सैकड़ों पैसेंजर्स हर वक्त ओवरब्रिज पर बैठे रहते हैं। लेकिन उन्हें हटाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जाते।
एक साल में ही बेदम
कानपुर सेंट्रल पर पिछले साल ही बने फुटओवर ब्रिज का हाल खराब होता जा रहा है। ब्रिज के कई हिस्सों में सीमेंट ने लोहे के गाटर की जगह को छोड़ दिया है। कई जगहों पर दरारें साफ दिख रही हैं। एक्सपट्र्स के मुताबिक ओवरलोड होने की वजह से ही नए ब्रिज का ये हाल हो गया है।
बारिश हो सकती है खतरनाक
एक्सपट्र्स की मानें तो मानसून में खतरा और ज्यादा बढ़ सकता है.  बारिश इन दरार भरे फुटओवर ब्रिज के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। क्योंकि कई जगहों पर ब्रिज के बीच में गैप बन चुका है। जहां पर बारिश का पानी स्टोर होकर ब्रिज की नींव को हिला सकता है।
पैसेंजर्स भी आखिर क्या करें
ज्यादातर प्लेटफाम्र्स पर प्रॉपर सीटिंग अरेंजमेंट्स न होने की वजह से भी पैसेंजर्स फुटओवर ब्रिज का सहारा लेते हैं। प्लेटफार्म नंबर 1 पर सबसे ज्यादा खराब स्थितियां हैं। यहां पर पैसेंजर्स के बैठने के लिए बहुत कम चेयर लगी हुई है। इसके अलावा प्लेटफार्म नंबर 5, 6, 7 और 8 पर भी जरूरत से कम सीटिंग अरेजमेंट्स हैं।
बदल जाता है प्लेटफॉर्म
फुटओवर ब्रिज पर ही बोरिया-बिस्तर लेकर डेरा डालने वाले पैसेंजर्स भी अपनी सफाई देने में पीछे नहीं हैं। उनका कहना है कि कानपुर सेंट्रल पर थोड़ी-थोड़ी देर में ट्रेन का प्लेटफार्म नंबर चेंज कर दिया जाता है। ऐसे में एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर चक्कर काटने पड़ते हैं, कई बार तो एनमौके पर प्लेटफार्म चेंज होने से हादसा होने का भी डर रहता है। इसलिए सबसे बेहतर विकल्प फुटओवर ब्रिज पर ही संभावित प्लेटफार्म के सीढिय़ों के पास बैठकर ट्रेन का इंतजार करना रहता है। जैसे ही फाइनल एनाउंसमेंट होता है, लगेज के साथ प्लेटफार्म पर पहुंचना आसान होता है।
नहीं निभाते हैं ड्यूटी
रेलवे स्टेशन पर फुटओवर ब्रिज के ऊपर पैसेंजर्स न बैठे, इसके लिए आरपीएफ, जीआरपी और रेलवे इम्पलाईज इन तीनों की ड्यूटी बनती है। लेकिन ये तीनों ही डिपार्टमेंट अपनी ड्यूटी को ईमानदारी से नहीं निभाते हैं। जिसकी वजह से पैसेंजर्स भी बिना डर के फुटओवर ब्रिज को प्लेटफार्म समझकर जहां मन चाहे चादर बिछाकर बैठ जाते हैं।


Officers speak

फुटओवर ब्रिज पर समय-समय पर चेकिंग अभियान चलाया जाता है। यहां पर बैठे हुए पैसेंजर्स को हटाने की कवायद चलाई जाती है। लेकिन इसके बावजूद पैसेंजर्स फुटओवर ब्रिज पर बैठ जाते हैं। इसको रोकने के लिए सख्त रूख अपनाते हुए अभियान शुरू किया जाएगा.
-संजय पांडे, आरपीएफ इंस्पेक्टर

Posted By: Inextlive