RANCHI: सिटी की सड़कों पर सैकड़ों अवरलोड ऑटो का लोड निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। कभी यह हादसों को न्योता देते हैं तो कभी सड़क की ट्रैफिक व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर देते हैं। बीच सड़क पर पैसेंजर उतारने-चढ़ाने के कारण घंटों सड़कें जाम हो जा रही हैं। लोग परेशान हैं लेकिन व्यवस्था में सुधार के तमाम उपायों को फेल होता देख कोई विकल्प नहीं तलाश पा रहे। ऑटो में आगे की साइड सीट तो एक होती है लेकिन उसमें तीन या चार लोगों को बैठाया जाता है। पीछे की सीट पर तीन लोगों के बैठने का नियम है लेकिन चार-पांच पैसेंजरों को बैठाया जा रहा है। ऑटो में ओवरलोडिंग का कुछ ऐसा ही नजारा राजधानी की सड़कों पर देखने को मिलता है। रांची के सभी रूट पर ऑटो चालाक मनमानी करते हैं। पैसेंजर्स को भी मजबूरी में बैठना पड़ता है।

महिलाएं व बच्चों की हालत खस्ता

ऑटो में ओवरलोडिंग से सबसे ज्यादा परेशानी युवतियों को होती है। युवकों के साथ बैठना तो पड़ता ही है, पर कई बार ऑटोवाले युवकों के बीच युवतियों को बैठा देते हैं। इस वजह से ऑटो में सफर के दौरान वो लोग काफी इनसिक्योर फील करती हैं। वहीं ओवरलोडिंग के कारण कभी भी कोई हादसा हो सकता है।

ऑटो में ओवरलोडिंग से परेशानियां

रांची में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सबसे सुलभ साधन ऑटो है। पैसेंजर्स भी कहीं आने-जाने के लिए ऑटो ही प्रीफर करते हैं, लेकिन ऑटोवालों की मनमानी अब पैसेंजर्स पर भारी पड़ रही है। रातू रोड में स्टैंड पर खड़े ऑटो में पीछे की सीट पर जबतक चार और आगे की सीट पर कम से कम तीन पैसेंजर नहीं बैठते हैं, ऑटो नहीं चलता है। इसी तरह कोकर से लालपुर तक चलने वाले ऑटो का हाल है बीच रास्ते में पैसेंजर्स को बैठाने-उतारने का तो सिलसिला चलता ही रहता है। कई बार तो ऑटो को बीच रास्ते में रोककर पैसेंजर्स का इंतजार भी ड्राइवर करने लगते हैं। ऐसे में कई बार पैसेंजर्स पूरा भाड़ा देने के बाद भी बीच रास्ते में ऑटो से उतरकर दूसरी गाड़ी से जाने में ही भलाई समझते हैं।

पुलिस नहीं लेती एक्शन

पुलिस के सामने ऑटोवालों की मनमानी चल रही है। पुलिस के एक्शन नहीं लेने से इनका मनोबल और बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि पोस्ट और थानों को मैनेज कर नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। हर दिन ट्रैफिक सिस्टम ध्वस्त होता है लेकिन पुलिस को इससे कोई मतलब नहीं होता।

ऑटो चालकों की दलील

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ऑटो चालक ने बताया कि बिना ओवरलोडिंग के गुजारा नहीं चलता है। ऑटो में ज्यादा से ज्यादा पैसेंजर्स को बैठाना हमारी मजबूरी है। इसी कारण ऑटो के खुलने में भी लेट होता है। हर रुट पर कहीं रंगदार तो कहीं पुलिसवाले रुपया वसूलते हैं जिन्हें बिना भुगतान किए रुट पर ऑटो चलाना मुश्किल है।

क्या कहते हैं यात्री

प्रेमकुमार जायसवाल हर दिन ऑटो में सफर करते हैं। उनका कहना है कि नियम टूटते हैं लेकिन इन्हें कोई रोकता नहीं है और ओवरलोडिंग किए बिना ये चलते नहीं हैं। प्रशासन और ट्रैफि क पुलिस को ओवरलोडिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

वर्जन

ट्रैफिक स्मूद रखने की हर कोशिश की जा रही है। ऑटोवालों की शिकायतें मिलती रहती हैं और कार्रवाई भी होती रहती हैं लेकिन लोगों को भी जागरुक होना होगा। पैसेंजर की क्षमता से अधिक लोगों को बैठाने वाले ऑटो में बैठने से इनकार करें और इसकी शिकायत पुलिस को करें, कार्रवाई तुरंत होगी।

संजय रंजन सिंह, ट्रैफिक एसपी, रांची

Posted By: Inextlive