पैरेंट्स की जेब खाली करने का हथियार बनी ब्रांडेड कॉपियां

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PRAYAGRAJ: प्राइवेट स्कूल पर अंकुश लगाने और मनमाने ढंग से पैरेंट्स से वसूली पर रोक लगाने के लिए हमेशा से ही डिमांड उठती रही है. लेकिन, अभी तक इन पर किसी भी प्रकार का अंकुश नहीं लग सका. यही कारण है कि नए नियमों के बनते ही स्कूल अपनी सुविधा के हिसाब से पैसे कमाने के लिए नए पैंतरे आजमाने लगे हैं. स्कूलों में किताबों की बिक्री प्रतिबंधित होने के बाद स्कूलों ने किताबों के बिक्री के लिए दुकानें एलॉट कर दीं. स्कूल में जिस पब्लिकेशन की किताबें चलनी हैं, वह संबंधित दुकानों पर ही मिलेंगी. इसमें भी पेंच तब फंसता है, जब दुकानदार किताबों के साथ कॉपियों को भी लेना अनिवार्य कर देते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को मजबूरी में किताबों के साथ ही महंगी ब्रांडेड कापियां भी ऊंचे दामों पर लेनी पड़ती हैं.

ब्रांड के नाम पर हो रहा खेल

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने कॉपियों के रेट की पड़ताल के लिए सिटी के विभिन्न स्कूलों द्वारा निर्धारित बुक सेंटर और सामान्य स्टेशनरी शॉप का जायजा लिया. एक खास ब्रांड की जो कापियां सामान्य बुक सेंटर पर लेने में छूट मिलती हैं, उस पर भी स्कूल से निर्धारित किए गए बुक सेंटर प्रिंट रेट पर कापियां उपलब्ध कराते हैं. जबकि सामान्य कॉपियों की कीमत काफी कम है. इससे चाहकर भी पैरेंट्स अपने मन और बजट के हिसाब से सामान्य कापियों के स्थान पर ब्रांडेड कॉपियां खरीदने को मजबूर होते हैं.

ब्रांड के नाम पर रेट में अंतर

ब्रांडेड कॉपियों में 172 और 160 पेज की कापियों का रेट क्रमश: 45 रुपए व 40 रुपए है.

सामान्य कॉपियों में 620 पेज की कापियों का रेट महज 30 रुपए है

सामान्य दुकानदार ब्रांडेड कापियों की खरीद पर 20 प्रतिशत तक छूट देते हैं

स्कूल से निर्धारित दुकानदार किसी भी सामान पर छूट की व्यवस्था नहीं रखते हैं

कटरा स्थित बुक सेंटर के ओनर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनका बेटा एचटीएस और बेटी जीएचएस में पढ़ती है. खुद बुक सेंटर चलाने के बाद भी उन्हें दोनों बच्चों की किताबों के साथ ही क्लासमेट की कापियां ऊंचे यानी प्रिंट रेट पर संबंधित दुकानदार से खरीदनी पड़ीं. उन्होंने बताया कि दुकानदार को उन्होंने देते हुए बताया कि उनकी खुद की बुक शॉप है. उसके बाद भी दुकानदार ने कहा कि स्कूल कमाई में 40 से 45 प्रतिशत कमीशन ले जाता है. हमें सिर्फ 10 से 5 प्रतिशत ही बचत आती है. इस स्थिति में हम किसी को छूट कैसे दे सकते हैं.

कॉपियों व किताबों के कवर में खेल

कापियों और किताबों के साथ ही उनके कवर में भी बड़ा खेल है.

सामान्य शॉप पर बेहतर क्वालिटी की कवर का रेट 40 से 60 रुपए तक प्रति रोल है

स्कूल से संबंधित दुकानदार क्लास के अनुसार तैयार सेट के हिसाब से कापियों व किताबों के लिए कवर कई गुना महंगे रेट पर देते हैं.

दोनों कवर में अंतर सिर्फ इतना होता है कि संबंधित दुकानदार के यहां मिलने वाली कॉपियों व किताबों के कवर पर स्कूल का नाम प्रिंट होता है.

उससे अच्छी क्वॉलिटी का कवर सामान्य दुकानों पर मिलने वाले कवर में किसी भी प्रकार की कोई स्कूल या संस्थान का नाम प्रिंट नहीं होता है.

मजबूरी में पैरेंट्स को स्कूल का नाम प्रिंट हुए कापियों व बुक्स के कवर को ऊंचे दामों पर खरीदना पड़ता है.

Posted By: Vijay Pandey