पाकिस्तान की एक अदालत ने मुंबई हमले की सुनवाई को तगड़ा झटका देते हुए भारत सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसके तहत उसने 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी की आवज के सैंपल मांगे थे। सरकार ने छह अन्य संदिग्धों की आवाज के भी नमूने मांगे थे। ताकि भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा सुनी गई आतंकवादियों की बातचीत से इसे मिलाया जा सके। फिर इसे मुंबई हमला मामले में आतंकवाद रोधी अदालत के समक्ष सात संदिग्धों के खिलाफ सबूत के तौर पर पेश किया जा सके। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारत सरकार की इस याचिका को खारिज कर दी


संदिग्धो की आवाज के मांगे थे नमूने
साल 2011 और 2015 में लखवी की आवाज के नमूने हासिल करने से जुड़ी याचिका को निचली अदालत ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि आरोपी की आवाज के नमूने हासिल करने का कोई कानून नहीं है। याचिका में कहा गया है कि भारतीय खुफिया एजेंसियों ने वर्ष 2008 में हुए मुंबई हमले के संदर्भ में संदिग्धों और आतंकियों के बीच बातचीत सुनी थी। रिकॉर्ड की गई बातचीत में संदिग्ध आतंकियों को निर्देश दे रहे हैं। अभियोजन पक्ष के वकीलों ने दलील दी थी आवाज के ये नमूने इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच पूरी करने के लिए जरूरी हैं। निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष की एक अन्य याचिका को भी खारिज कर दिया था। उस याचिका में उसने अदालत से कहा था कि वह कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए अजमल कसाब और फहीम अंसारी को भगौड़ा घोषित कर दे।


छह साल अदियाला जेल में रहे थे आतंकी

अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा था कि जब तक वह इन दोनों व्यक्तियों को भगौड़ा घोषित नहीं करती है तब तक उनके खिलाफ सुनवाई अनिर्णायक ही रहेगी क्योंकि दोनों को ही भारतीय अधिकारियों ने मुंबई हमले में आरोपी बताया है। दोनों ही 26/11 मामले की जांच कर रही संघीय जांच एजेंसी द्वारा वांछित हैं। पाकिस्तानी अधिकारियों ने हमलों की साजिश में संलिप्त लश्कर-ए-तैयबा के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया था। इन सदस्यों में मुंबई हमले का मास्टरमाइंड और संगठन का ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी भी शामिल था। छह आरोपी अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनिस अंजुम नवंबर 2008 के मुंबई हमले की योजना बनाने और इसे अंजाम देने के सिलसिले में छह साल से ज्यादा समय तक अदियाला जेल मे रहे हैं।मुंबई हमलों में 166 लोगों की हुई थी मौतमुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे। 56 वर्षीय लखवी को दिसंबर 2014 में जमानत मिल गई थी। जन सुरक्षा कानून के तहत लखवी को हिरासत में ही रखने के सरकारी आदेश को लाहौर उच्च न्यायालय की ओर से खारिज कर दिए जाने के बाद 10 अप्रैल 2015 को उसे अदियाला जेल से रिहा कर दिया गया था। इन संदिग्धों के खिलाफ वर्ष 2009 से आतंकवाद रोधी अदालत में मामला चल रहा है।

Posted By: Prabha Punj Mishra