पाकिस्तान में विभिन्न ज़ेलों में बंद 12 मौत की सजा पाने वाले अपराधियों को मंगलवार को फांसी पर लटका दिया गया.


पाकिस्तान में मंगलवार सुबह फांसी की सजा पाए कुल 12 अपराधियों को फांसी दे दी गई. पाकिस्तान गवरन्मेंट के  मौत की सज़ा पर लगी रोक हटने के बाद यह पहली बार है जब एक ही दिन में सबसे ज़्यादा लोगों को फांसी दी गयी है. फांसी पर लटकाए जाने वालों में केवल आतंकी ही नहीं थे, बल्कि कई दूसरे अपराधी भी थे जिन्हें हत्या का दोषी पाया गया था. पाकिस्तान में साल 2008 में लोकतंत्र की बहाली के बाद मौत की सज़ा पर रोक लगा दी गई थी.


पाकिस्तानी मीडिया से मिल रही खबरों के अनुसार मुबाशिर, शरीफ और रियाज नाम के मुजरिमों को उनके परिवार से मिलाने के बाद पंजाब प्रांत के झांग की जिला जेल में फांसी दी गई. मुबशिर और शरीफ ने 1998  में एक टैक्सी चालक की हत्या की थी और रियाज ने 1995 में एक घरेलू झगड़े में एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. इसी तरह अपने पिता की हत्या करने के मामले में सजा पाने वाले जफर इकबाल और एक महिला की हत्या करने वाले रब नवाज को पंजाब प्रांत की मियांवाली जिला जेल में फांसी दी गई. कोरंगी इलाके में डकैती के दौरान हत्या के जुर्म में फांसी की सजा पाने वाले फजल और फैसल को सिंध प्रांत के कराची केंद्रीय कारागार में फांसी पर लटकाया गया. जबकि पंजाब में रावलपिंडी की अडियाला जेल में मालिक नदीम और मुहम्मद जावेद को फांसी दी गई.एक बच्ची के साथ रेप के बाद उसकी हत्या करने वाले जफर इकबाल को मुल्तान केंद्रीय कारागार में और हत्या के अपराधी मुहम्मद इकबाल को गुजरांवाला केंद्रीय कारागार में फांसी पर लटकाया गया. इसके साथ 1992 में एक मामूली झगड़े में एक नागरिक की हत्या करने वाले मुहम्मद नवाज को फैसलाबाद केंद्रीय कारागार में फांसी दी गई.पेशावर आर्मी स्कूल पर अटैक के बाद हटाई गयी थी फांसी पर रोक

पाकिस्तामनी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने 17 दिसम्बर को पेशावर में एक स्कूल पर हुए हमले के बाद मौत की सज़ा पर लगी अनौपचारिक रोक को हटा लिया था. इस हादसे में स्कूल के 132 बच्चों और नौ स्कूली कर्मचारियों की मौत हो गई थी. रोक हटने के बाद अब तक लगभग 40 लोगों को फांसी दी जा चुकी है. पता चला है कि पिछले हफ़्ते इसके छूट के तहत उन कैदियों को भी शामिल कर लिया जिन्हें दूसरे मामलों में मौत की सज़ा मिल चुकी है और उनकी रहम की अपील ख़ारिज़ हो गई है. पाकिस्तानी जेलों में बंद 8,000 लोग ऐसे हैं जिन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई है.विरोध भी हो रहा है जहां एक ओर पाकिस्तान में तेजी हो रही फांसी की सजा को कुछ लोग सही कदम मान रहे हैं वहीं कुछ मानवाधिकार संगठनों ने इसका विरोध भी किया है. इनका कहना है कि पाकिस्तान में मौत की सज़ा के कई मामले भरोसे के लायक नहीं हैं. उनका दावा है कि कई लोगों को यातनाएँ देकर अपराध क़बूल करने के लिए मज़बूर किया जाता है.

Hindi News from World News Desk

Posted By: Molly Seth