पाकिस्तान ने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा चिनाब नदी पर जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण की आधारशिला रखने पर आपत्ति जताई है। पाक का आरोप है कि यह 1960 की जल संधि का उल्लंघन है।

इस्लामाबाद (पीटीआई)। पाकिस्तान ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कश्मीर यात्रा और चिनाब नदी पर रैटल और क्वार जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण की आधारशिला रखने पर आपत्ति जताई है। अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी पहली बार सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रविवार को जम्मू-कश्मीर गए थे। यात्रा के दौरान, मोदी ने रैटल और क्वार जलविद्युत परियोजनाओं की आधारशिला रखी, किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर लगभग 5,300 करोड़ रुपये की लागत से 850 मेगावाट की सुविधा और 540 मेगावाट की क्वार जलविद्युत परियोजना का निर्माण किया जाएगा।

मोदी पर साधा निशाना
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने प्रधानमंत्री मोदी की घाटी की यात्रा को घाटी में "नकली सामान्य स्थिति दिखाने की एक और चाल" करार दिया। विदेश कार्यालय ने रविवार रात एक बयान में कहा, "5 अगस्त 2019 के बाद से, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भारत द्वारा कश्मीर में वास्तविक अंतर्निहित मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस तरह के कई हताश प्रयासों को देखा है।" पाकिस्तान ने कश्मीर में चिनाब नदी पर रैटल और क्वार जलविद्युत परियोजनाओं (एचईपी) के निर्माण के लिए आधारशिला रखने की भी आलोचना की।

जल संधि तोड़ने का आरोप
एफओ ने कहा, "भारत द्वारा डिजाइन किए गए रैटल हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट का निर्माण पाकिस्तान द्वारा विवादित रहा है, और क्वार हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट के लिए भारत ने अब तक पाकिस्तान के साथ जानकारी साझा करने के अपने संधि दायित्व को पूरा नहीं किया है।" विदेश कार्यालय ने कहा, "पाकिस्तान भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा दो परियोजनाओं की आधारशिला रखने को 1960 की सिंधु जल संधि (IWT) के सीधे उल्लंघन के रूप में देखता है।" पाकिस्तान ने भारत से आईडब्ल्यूटी के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने और आईडब्ल्यूटी ढांचे के लिए हानिकारक कोई भी कदम उठाने से परहेज करने का आह्वान किया।

क्या है 1960 की सिंधु जल संधि
1960 की सिंधु जल संधि तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुई थी। दोनों देशों में बहने वाली सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी का उपयोग कैसे किया जाएगा, इसके लिए दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने साइन किए थे। सिंधु जल संधि 1960 के प्रावधानों के तहत, पूर्वी नदियों - सतलुज, ब्यास और रावी - का पानी भारत और पश्चिमी नदियों - सिंधु, झेलम और चिनाब - पाकिस्तान को आवंटित किया गया था।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari