भारत ने सार्क देशों के बीच संचार और संपर्क को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण एशिया सैटेलाइट जीसैट-9 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया। सैटेलाइट को लॉन्‍च करने के बाद भारत ने चीन सहित अन्‍य कई देशों से बढ़त हासिल कर ली है। सार्क सैटेलाइट लॉन्‍च के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के छह राष्‍ट्रअध्‍यक्षों से वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग पर बात की जिसे पूरी दुनिया देखती रह गई। वैसे सार्क सैटेलाइट लॉन्‍च होने के बाद पड़ोसी मुल्‍क के दिल पर छुरियां चल रहीं होगी। शुरुआत में पाकिस्‍तान सार्क सैटेलाइट प्रोजेक्‍ट का कंट्रोल अपने हाथों में रखना चाहता था लेकिन भारत के मना करने के बाद पाकिस्‍तान खुद प्रोजेक्‍ट से हट गया।


सैटेलाइट लॉन्च के बाद आया पाकिस्तान का बयानसैटेलाइट लॉन्च के बाद पाकिस्तान ने सार्क सैटेलाइट प्रोजेक्ट से खुद को अलग किए जाने के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। पाक ने कहा कि नई दिल्ली सभी के सहयोग से उपक्रम विकसित करने का इच्छुक नहीं है। पाकिस्तान ने यह दावा उस वक्त किया है जब भारत ने पड़ोसी देशों के संचार एवं आपदा संबंधी सहयोग देने के मकसद से दक्षिण एशिया उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है। पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकरिया ने कहा कि 18वें सार्क शिखर बैठक के दौरान भारत ने सदस्य देशों को सार्क सैटेलाइट का तोहफा देने की पेशकश की थी।पाकिस्तान चाहता था सार्क सैटेलाइट पर अपना कंट्रोल
सार्क सैटेलाइट का आइडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पड़ोसी देशों के समक्ष रखा उस समय पाकिस्तान ने इसे स्वीकार किया था। नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने कहा कि उनका देश इस प्रस्ताव पर सुझाव देगा। कुछ दिन बाद ही पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट में साझीदार बनने की बात कही। पाकिस्तान ने इसरो की टेक्निकल टीम का हिस्सा बनाये जाने पर जोर दिया। उसने भारत के साथ इस प्रोजेक्ट का खर्च उठाने का भी प्रस्ताव रखा। जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। पाकिस्तान ने मांग रखी कि सैटेलाइट का कंट्रोल का सार्क देशों को दिया जाए न कि सिर्फ इसरो के पास रहे। यही नहीं पाकिस्तान ने फिर सुरक्षा का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया जिसे भारत ने खारिज कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर लिया। उनकी दलील थी कि उनके पास अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र लॉन्च हुआ सार्क सैटेलाइटइसरो ने बताया कि जीसैट-9 मिशन का लाइफटाइम 12 साल का है। जीसैट को चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांचिंग पैड से लांच किया गया। इस सैटेलाइट को इसरो ने बनाया है। इस कामयाबी के बाद सार्क देशों के 6 राष्ट्राध्यक्षों ने एक साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दुनिया को संदेश दिया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि जीसैट-9 से भारत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान, भूटान और मालदीव को फायदा होगा। इससे अंतरिक्ष में दक्षिण एशिया की ताकत बढ़ेगी।पीएम मोदी ने दिया दक्षिण एशिया को सैटेलाइट का तोहफा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से सार्क सैटेलाइट बनाने के लिए कहा था। जो पड़ोसी देशों को भारत की ओर से उपहार है। साथ ही चीन के प्रभाव को क्षेत्र में कम किया जा सकेगा। बीते रविवार को मन की बात कार्यक्रम में मोदी ने घोषणा की थी कि दक्षिण एशिया उपग्रह अपने पड़ोसी देशों को भारत की ओर से कीमती उपहार होगा। मोदी ने कहा था पांच मई को भारत दक्षिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण करेगा। इस परियोजना में भाग लेने वाले देशों की विकासात्मक जरुरतों को पूरा करने में इस उपग्रह के फायदे लंबा रास्ता तय करेंगे।

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Posted By: Prabha Punj Mishra