17 मिनट के अंतर को माना जा रहा पेपर आउट से बचाव का कारण

छात्रसंघ भवन पर सर्वदलीय बैठक आज, आगे की रणनीति होगी तय

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन भले ही अभी तक पीजी प्रवेश परीक्षा के पर्चा आउट स्कैंडल को स्वीकार न कर रहा हो। लेकिन इस मामले में उसके विरोधाभाषी बयान बहुत कुछ बयां कर रहे हैं। इविवि प्रशासन के चीफ प्रॉक्टर प्रो। आईआर सिद्दकी एवं डीएसडब्ल्यू प्रो। हर्ष कुमार की ओर से मंडे को जारी पत्र में जो बातें कहीं गई हैं। उसपर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि पीजीएटी समान्य ज्ञान का प्रश्न पत्र सुबह 10:32 बजे वाह्टसएप पर वायरल हुआ। जबकि पीजीएटी प्रवेश परीक्षा का प्रथम चरण प्रात: नौ बजे से प्रारम्भ हुआ तथा एक विषय वाले सभी परीक्षार्थियों को प्रात: 10:15 बजे परीक्षा हाल में प्रवेश दे दिया गया।

पेपर के छह पन्ने खींचकर डाले थे

साफ है कि इविवि प्रशासन का मानना है कि जब सभी परीक्षार्थियों को पेपर वायरल होने से पहले ही परीक्षा हाल में इंट्री दे दी गई तो पेपर वायरल कैसे हुआ? फिलहाल तो इसका प्रमाण विवि प्रशासन के ही पास है कि एक विषय वाले छात्र जिनकी परीक्षा सुबह 11 बजे शुरु होनी थी, उन्हें कितने बजे तक परीक्षा हाल में इंट्री दी गई। सवाल खड़ा हो रहा है कि मीडिया की ओर से विवि प्रशासन को वायरल पेपर की जो कापी सेंड की गई, विवि के अधिकारी उस टाईमिंग को ही पेपर वायरल होने की टाईमिंग मान रहे हैं। जबकि यह अपने आप में बड़ा सवाल है कि जिस शख्स ने पेपर की फोटो मोबाइल से खींची और वाह्टसएप पर डाली, उसमें लगा समय पेपर के आउट होने में नहीं जोड़ा जाएगा? बता दें कि सामान्य ज्ञान के प्रश्न पत्र में शामिल 40 सवालों की छह अलग अलग कापियां साफ तौर पर खींचकर वाह्टसएप पर डाली गई थी।

11 बजे पेपर तो पहले कैसे बाहर आया

सुबह 10:32 बजे से पहले हुई गतिविधियों के लिए क्या इविवि प्रशासन जिम्मेदार नहीं है? बड़ा सवाल यह भी है कि जब पेपर सुबह 11 बजे शुरू होना था तो सुबह 10:32 बजे ही प्रश्न पत्र वायरल कैसे हो गया। जबकि परीक्षार्थियों को परीक्षा कक्ष में निर्धारित समय पर पेपर बांटे जाने के बाद कुछ समय तक प्रश्न पत्र को न खोलने की साफ हिदायद दी जाती है और यह प्रश्न पत्र सीलबंद भी होता है। वीसी से वार्ता के बाद लिए गए निर्णयों का हवाला देते हुए दोनो अधिकारियों ने कहा है कि कम्बाइंड रिसर्च इंट्रेस के लिए हाई पावर कमेटी गठित की गई है। जिसके निर्णय को सार्वजनिक किया जाएगा।

दोषी खुद नहीं कर सकते जांच: आइसा

उधर, क्रेट व पीजी प्रवेश परीक्षा निरस्त करने की मांग को लेकर छात्रसंघ भवन पर धरने पर बैठे आइसा से जुड़े छात्रों निदेशक प्रवेश प्रो। बीएन सिंह को बर्खास्त करने एवं परीक्षा की आयोजक प्राइवेट कंपनी का भुगतान रोकने के लिए आवाज बुलंद की है। इकाई सहसचिव शक्तिरजवार ने कहा की कुलपति का वक्तव्य कि नकल हुयी है, लेकिन पेपर आउट नही हुआ हास्यास्पद है। उनके बयान को छात्रों की प्रतिभा व भविष्य को बर्बाद करने वाला बताया गया। इकाईं उपाध्यक्ष रुस्तम कुरैसी ने कहा की विवि प्रशासन जांच नहीं कर सकता। क्योंकि, वह स्वयं ही दोषी है। उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की जाय। जिसमें छात्रों का भी प्रतिनिधित्व हो। छात्र स्वतंत्रता संघर्ष के मो। जाबिर रजा इलाहाबादी ने भी परीक्षा दोबारा करवाने की मांग की है। इधर, इस पूरे मामले पर विचार के लिए सुबह 11:30 बजे एक सर्वदलीय बैठक छात्रसंघ भवन में बुलाई गई है। जिसमें डिग्री कॉलेजेस के भी छात्रों एवं छात्रनेताओं से पहुंचने की अपील की गई है।

Posted By: Inextlive