कामयाब बच्चों के मम्मी-डैडी करते हैं ये 10 काम
उम्मीद रखना
स्टडी के अनुसार जो पेरेंट्स अपने बच्चों से बचपन से जायज उम्मीद रखते हैं और वो उन उम्मीदों को अपने बच्चों के साथ शेयर करते हैं तो ऐसे बच्चे महत्वाकांशी हो जाते हैं। अपने मां-बाप के सपने को पूरा करने के लिए वो बड़े होकर मेहनत करते हैं और जीवन में सक्सेस हासिल करते हैं।
हार गए तो क्या हुआ
हारना-जीतना लाइफ का एक पार्ट होता है। सक्सेसफुल पेरेंटिंग उसे कहते हैं जिसमें मां-बाप अपने बच्चे को ये समझाते है कि हारना सक्सेस का एक पार्ट है और इससे कभी घबराना नहीं चाहिए।
बच्चों के साथ टाइम स्पेंड करते हैं
स्टडी में बताया गया है कि पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ 3 से 11 साल की एज में ज्यादा टाइम बिताना चाहिए क्योंकि ये ही वो टाइम होता है जब बच्चों में संस्कार और समझ डेवेलप होती है।
आत्मनिर्भता है जरूरी
पेरेंट्स को अपने बच्चो को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। सक्सेसेफुल बच्चों के पेरेंट्स अपने बच्चों के संग यही करते हैं। वो उनकी देखभाल तो करते हैं लेकिन स्पून फीडिंग नहीं करते मतलब की हर काम में मदद के लिए आगे नहीं बढ़ते हैं। वो बच्चों को खुद से काम करने के लिए उत्साहित करते हैं।
तीन 'F' है जरूरी, यानि की firm fair और friendly
बच्चों की सक्सेस सक्सेसफुल पेरेन्टिंग पर आधारित होती हैं। तीन शब्द परवरीश करते समय अहम होते हैं। एक हैं थोड़ा सा कठोर होना यानी की अगर आपका बच्चा गलती कर रहा है तो उसको उसके लिए छोटी ही सही मगर सजा दें। दूसरा हैं न्यायपूर्ण होना यानी जरूरत से ज्यादा कठोर होने की जरूरत नहीं है और तीसरा हैं फ्रेंडली होना। फ्रेंडली होने का मतलब है कि हर बात पर सजा नहीं देनी चाहिए। कभी-कभी बात करके बच्चों को समझाना चाहिए और बताना चाहिए कि क्या गलत हैं और क्या सही।