हाल ही में गोरखपुर में अचानक जिला अस्पताल की मोर्चरी में मुर्दा जगने का मामला सामने आया.

-डॉक्टर ने छात्र को किया मृत घोषित, परिजनों ने बताया जिंदा

-मोर्चरी में रखे शव की उंगलियां हिलने और धड़कन चलने का आरोप लगाकर मचाया तांडव

-डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाकर परिजनों ने जमकर किया हंगामा

Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: गुरुवार को अचानक जिला अस्पताल की मोर्चरी में मुर्दा जगने का मामला सामने आया, जिसे सुनकर हर कोई सॉक्ड हो गया. अस्पताल में इस मामले की सच्चाई को जानने के लिए भारी भीड़ एकत्रित हो गई. मामला कुछ यूं था, मोर्चरी में गुरुवार को एक 'मुर्दा' जग गया. ये कहना था पीडि़त परिवार का. एक्सीडेंट में घायल छात्र आर्यन को लेकर उसके परिजन जिला अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे तो डॉक्टर्स ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर मोर्चरी में भेज दिया. परिजन का आरोप है कि वो जब मोर्चरी में पहुंचे तो छात्र की उंगली हिल रही थी और धड़कन भी चल रही थी. इसके बाद परिजन इमरजेंसी पहुंचे और डॉक्टर से फिर से जांच करने की बात कही. लेकिन डॉक्टर ने जांच से इंकार कर दिया. इसके बाद नाराज लोगों ने इमरजेंसी में जमकर हंगामा किया और डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हाथापाई भी की. हंगामे की सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंची और लोगों को शांत कराया. बाद में परिजन अपनी संतुष्टि के लिए आर्यन को मेडिकल कॉलेज भी ले गए. वहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया.

रोडवेज की बस ने मारी थी टक्कर
बेलीपार के भीटी के रहने वाले लक्ष्मी नारायण सिंह मुंबई में ठेकेदारी करते हैं. उनके दो बेटे आदित्य व आर्यन हैं. आर्यन जुबली इंटर कॉलेज में हाईस्कूल का छात्र है. घर से क्लास करने आर्यन गुरुवार सुबह अपनी बाइक से निकला. दोपहर 12 बजे के आसपास वह बेलीपार के सेवई बाजार स्थित यूनियन बैंक के पास पहुंचा था कि गोरखपुर की ओर जा रही रोडवेज बस ने पीछे से बाइक में टक्कर मार दी. आर्यन बाइक समेत सड़क पर गिर कर घायल हो गया. आसपास लोगों की मदद से 1.24 बजे उसे जिला अस्पताल ले आया गया. जहां डॉक्टर्स ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया. मोर्चरी के पास खड़े लोगों ने आर्यन के शरीर में हरकत देखी तो उसे फौरन मोर्चरी से बाहर निकाला और डॉक्टर से इलाज करने को कहा. लेकिन डॉक्टर सुनने को तैयार नहीं थे. नाराज परिजन गांव वालों के साथ हंगामा करने के बाद आर्यन को मेडिकल कॉलेज ले गए. वहां भी डॉक्टर्स ने उसे मृत बताया दिया. इस संबंध में परिजनों ने डॉक्टर्स पर लापरवाही का आरोप लगाया है. आरोप है कि यदि डॉक्टर समय रहते इलाज किए होते तो आर्यन की जान बच सकती थी.

घायल आर्यन के सिर के पिछले हिस्से में काफी चोट लगी थी. सिर का पिछला हिस्सा खुल गया था. वह मृत अवस्था में जिला अस्पताल लाया गया था. अच्छी तरह से चेक करने के बाद उसके शव को मोर्चरी में रखवाया गया और कोतवाली पुलिस को सूचना भी दे दी गई.

डॉ. संतलाल, ईएमओ

मामला मेरे संज्ञान में हैृ छात्र की पहले ही मौत हो चुकी थी. डॉक्टर ने उसकी जांच कर के ही मृत घोषित किया था और शव को मोर्चरी में रखवाया गया. परिजनों की तरफ से जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह गलत है.

डॉ. आरके गुप्ता, एसआईसी जिला अस्पताल

Posted By: Syed Saim Rauf