ईसाई धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरू पोप फ्रांसिस ने पेरिस हमले पर अपनी चुप्‍पी तोड़ते हुए कहा है कि धर्म का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि फ्रीडम ऑफ स्‍पीच की अपनी सीमाएं होनी चाहिए.


धार्मिक भावनाओं को आहत करना गलतपेरिस में सटैरिकल मैगजीन शार्ली एब्दो के दफ्तर पर हुए आतंकी हमले पर पोप फ्रांसिस ने अपनी राय स्पष्ट करते हुए कहा कि धार्मिक भावनाएं को आहत नहीं करना ठीक बात नहीं है. हालांकि इसके विरोध में हिंसक प्रक्रिया को भी उन्होंने गलत करार दिया. एशियाई देशों के दौरे पर निकले पोप फ्रांसिस ने कहा कि हिंसक प्रतिक्रिया गलत है लेकिन भावनाएं आहत होने पर प्रतिक्रिया होना सामान्य बात है. इसके साथ ही पोप ने फ्रीडम ऑफ स्पीच का बचाव किया लेकिन धर्म के अपमान के जरिए लोगों को भड़काने को भी गलत करार दिया. धर्म का अपमान ठीक नहीं
श्रीलंका से फिलीपींस रवाना होने से पहले पोप ने कहा, "आप किसी को भड़का नहीं सकते, आप किसी के विश्वास का अपमान नहीं कर सकते. आप भरोसे का मजाक नहीं उड़ा सकते." धर्म की आजादी और अभिव्यक्ति की आजादी की तुलना के सवाल पर पोप ने कहा, "मेरा मानना है कि ये दोनों ही मूलभूत मानवाधिकार हैं. सभी के लिए न केवल आजादी और अधिकार है बल्कि आम हित के प्रति सबकी जवाबदेही भी है. हमें किसी दूसरे पर हमला किए बिना इस आजादी को जीने का अधिकार है." पोप ने कहा, "यह सही है कि आप हिंसात्मक तरीके से प्रतिक्रिया नहीं कर सकते, लेकिन यह भी सच है कि अगर मेरा कोई दोस्त भी मेरी मां को अपशब्द कहे तो उसे घूंसा खाने के लिए तैयार रहना होगा. यह सामान्य बात है. आप किसी के धर्म को खिलौना नहीं बना सकते." उन्होंने कहा, "ऐसे लोग उकसाते हैं और फिर प्रतिक्रिया में कुछ होता है. अभिव्यक्ति की आजादी की कुछ सीमाएं हैं."

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Posted By: Prabha Punj Mishra