प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी को स्‍वेच्‍छा से छोड़ देने के लिए अपील की थी जिसके बाद 5.5 लाख लोगों ने इस सब्सिडी को छोड़ भी दिया। लेकिन अब एक आरटीआई में सामने आया है कि संसद की कैंटीन में सस्‍ता खाना दिया जाने के लिए प्रतिवर्ष 14 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाती है। इस पर एक नए विवाद ने जन्‍म लेना शुरु कर दिया है।


संसद में सब्सिडी जारीमोदी सरकार द्वारा सब्सिडी त्यागने की अपील के बाद लगभग 5.5 लाख लोगों ने सब्सिडी छोड़ भी दी। लेकिन एक आरटीआई रिपोर्ट से प्राप्त हुई जानकारी में पता चला है कि संसद कैंटीन में सस्ता खाना प्रोवाइड किए जाने के लिए हर साल केंद्र सरकार को 14 करोड़ रुपये का सब्सिडी भार उठाना पड़ता है। संसद कैंटीन में सांसदों, उनके सहयोगियों, पार्लियामेंट कर्मचारियों और विजिटर्स को खाना खाने की अनुमति होती है। यहां बहुत ही कम कीमत पर काफी अच्छी क्वालिटी का खाना मिलता है। ऐसे में यह विवाद उठना लाजमी है कि आखिर केंद्र सरकार संसद कैंटीन पर खर्च होने वाली सब्सिडी पर रोक क्यों नहीं लगाती। जानिए क्या है रेट लिस्ट


अगर संसद कैंटीन की रेट लिस्ट पर ध्यान दिया जाए तो कई चीजों के रेट सुनकर आप दंग रह जाएंगे। मसलन मसाला डोसा की कीमत सिर्फ 6 रुपये है जिसे बनाने में 23.26 रुपये का खर्च आता है। वहीं मटन करी 20 रुपये में मिलती है जो 61.36 रुपये में तैयार होती है। वहीं नॉनवेज फूड की थाली की कॉस्टिंग 99 रुपये है लेकिन संसद कैंटीन में यह केवल 33 रुपये में उपलब्ध है। । दाल फ्राई 4 रुपये में उपलब्ध है जो 13 रुपये 11 पैसे में तैयार होती है।


पांच साल में खर्च हुए 60 करोड़ रुपये
लोकसभा सचिवालय के अनुसार संसद कैंटीन में रेट्स को पिछले पांच सालों से बढ़ाया नहीं गया है जिसकी वजह से 60 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है। इस मामले में कहा जा रहा है कि जब संसद सदस्यों को सैलरी मिलती है तो कैंटीन में सब्सिडी दिए जाने का क्या औचित्य है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसी कैंटीन में खाना खाकर पेमेंट किया था।

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Posted By: Prabha Punj Mishra