ट्रेन में मुसाफिरों को अब न तो कॉर्नर सीट मिलने से परेशानी होगी और न ही उन्हें नाक बंद कर अपना सफर पूरा करना पड़ेगा.

- रेलवे ने टॉयलेट में मॉडिफिकेशन की शुरू की तैयारी, नॉब को ऊपर के बजाए किया जाएगा नीचे

- एस शेप से जुड़ेगा टैंक, वहीं ऑटो सेंसर से किया जाएगा फ्लश

- टैंक फुल होने से पहले ही हो जाएगी सफाई

Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: ट्रेन का सफर करने वाले मुसाफिरों को अब न तो कॉर्नर सीट मिलने से परेशानी होगी और न ही उन्हें नाक बंद कर अपना सफर पूरा करना पड़ेगा। कॉर्नर मिले या मिडिल सीट, पैसेंजर्स को टॉयलेट से होने वाली प्रॉब्लम जल्द ही दूर हो जाएगी। रेलवे ने इस प्रॉब्लम का सॉल्युशन ढूंढ लिया है और जल्द ही कोच मॉडिफिकेशन के जरिए पैसेंजर्स को इस परमनेंट प्रॉब्लम से निजात दिलाई जाएगी। इसकी कवायद भी शुरू कर दी गई है और कुछ दिनों में ही पैसेंजर्स को इस प्रॉब्लम से छुटकारा मिल जाएगा।

टॉयलेट में होंगे कई बदलाव
रेलवे ट्रेंस के टॉयलेट में कई तरह के बदलाव करने जा रहा है। इसके तहत जहां अब तक वेस्टेज टैंक डायरेक्ट पाइप से जुड़ा रहता था, उसे अब 'एस' शेप में करने की तैयारी की जा रही है। इसमें वेस्टर्न टॉयलेट की तरह पानी भरा रहेगा, जिससे वेस्ट की बदबू वापस लौटकर टॉयलेट में नहीं आएगी। वहीं दरवाजे और खिड़कियों में जहां नॉब ऊपर रहता था, उसे नीचे की तरफ किया जा रहा है। इससे भी लोगों को काफी राहत मिलेगी। वहीं सफाई कर्मियों को फ्रेशनर भी दिया जाएगा, जो टॉयलेट के साथ रेग्युलर कोचेज में इसका इस्तेमाल करेंगे।

ई-टॉयलेट पर टेस्टिंग शुरू
एक तरफ जहां रेलवे ट्रेंस के टॉयलेट में कुछ बदलाव कर रहा है, वहीं ई-टॉयलेट पर पहले से ही टेस्टिंग चल रही है। सीपीआरओ ने बताया कि ई-टॉयलेट आम टॉयलेट की तरह ही होंगे। बस इसमें डोर सेंसर टेक्नीक का इस्तेमाल कर साफ-सफाई व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की तैयारी है। इसमें हर यूज के बाद टॉयलेट हाई प्रेशर वॉटर से ऑटो फ्लश हो जाएगा, जिससे गंदगी की संभावना कम होगी। वहीं जब इसे पांच व्यक्ति इस्तेमाल कर लेंगे, तो पूरे टॉयलेट केबिन में भी पानी से खुद ब खुद सफाई हो जाएगी। इस नई व्यवस्था से टॉयलेट में रहने वाली गंदगी खुद-ब-खुद दूर हो जाएगी।

सफर के दौरान होती थी प्रॉब्लम
पैसेंजर्स को अब तक ट्रेन के सफर में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ट्रेन चलने के दौरान तो एक-दो बार लोग इसका इस्तेमाल कर लेते थे, लेकिन जब गाड़ी कहीं बीच में पहुंच जाती, तो देखते ही देखते टॉयलेट इतना गंदा हो जाता कि लोग इसे इस्तेमाल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। जिन पैसेंजर्स को लंबा सफर करना होता है, उन्हें मजबूरी में टॉयलेट का इस्तेमाल करना पड़ता है, लेकिन इस दौरान उनकी हालत काफी खराब हो जाती है। हालांकि रेलवे ने रनिंग ट्रेन में हाउसकीपिंग स्टाफ की व्यवस्था की है, जो बुलाने पर सफाई कर देते हैं, लेकिन ई-टॉयलेट लगने के बाद किसी को बुलाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी और टॉयलेट चकाचक मिलेंगे।

रेलवे को अपने पैसेंजर्स का खास ख्याल है। टॉयलेट की बदबू को दूर करने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। उम्मीद है लोगों को इससे राहत मिलेगी और उन्हें सफर में मुश्किलें नहीं फेस करनी पड़ेंगी।

- संजय यादव, सीपीआरओ, एनई रेलवे

Posted By: Inextlive