- रविवार को दियारा घाट पर परिजन रोते बिलखते रहे

PATNA : नयनसी तुम कहां चली गई। देखो तुम्हारे बिना सबका क्या हाल हो गया है। तुम्हारे बिना बुआ ने रात से ही खाना नहीं खाया। रविवार की सुबह कुछ इस तरह रोते बिलखते परिजन गंगा किनारे नजर आए। रात से ही वे रेस्क्यू टीम का इंतजार कर रहे थे। सर्द ठंडी हवाओं ने उनके दुख तकलीफ को कई गुना बढ़ा दिया। मृत बच्ची नयनसी के दादा रतन ने आई नेक्स्ट को अपना दर्द सुनाया।

पल में खुली गम में बदली

रतन बताते हैं पतंग उत्सव घूमने के बाद नयनसी के साथ भीड़ भरी नाव में सवार हुए। हम लोग बहुत प्रसन्न थे। कुछ मिनट बाद ही नाव डूबने लगा। दिल जोर से धड़कने लगा। मैंने अपनी बच्ची का हाथ थाम लिया। नाव में पानी भर जाने से नाव पलट गई और गंगा की तेज धारा में न जाने कब हाथ छूट गया पता ही नहीं चला।

नाव वाला मना करता रहा, लोग बैठते रहे

नाव में क्00 के आसपास लोग सवार हो गए थे। नाविक लोगों को मना करता रहा। उसने कहा मत चढ़ो, सबकी जान जाएगी। किसी ने एक नहीं सुनी। नाव स्टार्ट होने समय ही एक बार खराब हो गया था। नाविक ने कहा कुछ लोग उतर जाइए मगर कोई नहीं नाविक की सुनी। थोड़ा आगे जाने पर नाव में पानी आने लगी। पानी भरने के चलते नाव डूबने लगा, अफरा तफरी मच गई। जिसको तैरना आता था वो नदी में कूद गए। मैंने नयनसी का हाथ थामकर तैरने निकला और उसका हाथ छूट गया।

सुबह 8 बजे के बाद मिली बॉडी

देर रात तक नैंसी को ढ़ंढ़ने के बाद जब बच्ची नहीं मिली तो निराश हो कर हम लोग घाट के पास घर में बैठे रहे। सुबह गंगा पार से एनडीआरएफ की टीम नैंसी को लेकर आई तो हमारा कलेजा फट पड़ा।

Posted By: Inextlive