-रिम्स के इमरजेंसी में डॉक्टर ने जांच की, गंभीरता को देखकर ट्रॉमा सेंटर में किया रेफर, बेड खाली नहीं रहने के कारण मरीज को गंवानी पड़ी जान

-परिजन ने रिम्स के चिकित्सक व प्रबंधन पर लगाया आरोप, कहा आईसीयू में भी इलाज शुरू होने से बच जाती मरीज की जान

रांची : रिम्स के इमरजेंसी में इलाज के अभाव में बुधवार को पिस्का मोड़ की एक 47 वर्षीय महिला मंजू देवी की मौत हो गई। मरीज के परिजनों ने रिम्स प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए। रिम्स के अत्याधुनिक ट्रॉमा सेंटर में बेड खाली नहीं रहने के कारण मरीज को अपनी जान गंवानी पड़ी। मरीज इमरजेंसी में इलाज कराने पहुंचा तो वहां मेडिसीन के डॉ। उमेश प्रसाद ने स्थिति गंभीर बताकर उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। जहां डॉक्टरों ने मरीज के परिजनों को बेड खाली नहीं रहने के कारण भर्ती नहीं किया गया। घंटों बेड खाली होने का इंतजार करते हुए अंत में मरीज ने दम तोड़ दिया।

ब्रेन हेमरेज के बाद पहुंचा था

दरअसल, रिम्स के इमरजेंसी में मंगलवार देर रात ब्रेन हेमब्रेज से पीडि़त एक मरीज को लाया गया। जहां डॉ। उमेश प्रसाद ने जांच के बाद उसे ट्रॉमा सेंटर में ले जाने को कहा। बताया कि मरीज की स्थिति काफी गंभीर है। परिजन लगातर ट्रॉमा सेंटर का चक्कर लगाते रहे लेकिन ट्रॉमा सेंटर में भर्ती नहीं किया गया। वे आईसीयू में ही भर्ती होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ते रहे। मरीज को लेकर परिजन रिम्स के इमरजेंसी तो कभी ट्रॉमा सेंटर का चक्कर लगाता रहा। इस दौरान मरीज ने दम तोड़ दिया।

इलाज शुरू होने से बच सकती थी जान

मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों ने रिम्स के चिकित्सक व प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि मरीज को रिम्स लाने के बाद वह 12 घंटा से ज्यादा जिंदा थी। जब डॉक्टर ने ट्रॉमा सेंटर भेजा और वहां बेड खाली नहीं रहने के बाद जब वापस इमरजेंसी लाया गया, इस दौरान अगर उसे भर्ती कर आईसीयू में इलाज शुरू कर दिया जाता तो मरीज की जान बचाई जा सकती थी। जब डॉक्टर ने मरीज को गंभीर बताया तो उसे भर्ती क्यों नहीं किया गया। उसने बताया कि ट्रॉमा सेंटर में काफी बेड खाली थे, जिसके बाद भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया। परिजन ने कहा कि मरीज को पहले राज अस्पताल ले जाया गया था। गरीब परिवार होने के कारण मरीज को रिम्स लाना पड़ा, नहीं मालूम था कि यहां इलाज होगा ही नहीं।

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ऑक्सीजन के इंतजार में डेढ घंटा एंबुलेंस में पड़ी रही मरीज

मंजू देवी के परिजन ने बताया कि जब उसे रिम्स ले जाया गया तो ऑक्सीजन और स्ट्रेचर नहीं रहने के कारण पहले डेढ घंटा एंबुलेंस में ही पड़ी रही। जिस कारण उसकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ती गई। जब परिजनों ने ऑक्सीजन और स्ट्रेचर की मांग की तो बाहर खड़े सुरक्षाकर्मियों ने ऑक्सीजन नहीं है बताकर मरीज को एंबुलेंस में रखने को कहा। काफी दबाव बनाने के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर और स्ट्रेचर लाया गया, जिसके बाद मरीज को इमरजेंसी ले जाया गया।

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मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं पहुंचा। अगर ऐसा कोई मामला आता तो बेड खाली नहीं होने की स्थिति में भी वैकल्पिक व्यवस्था कर मरीज का इलाज किया जाता।

-डॉ। प्रदीप भट्टाचार्य, एचओडी, ट्रॉमा सेंटर, रिम्स।

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Posted By: Inextlive