RANCHI: रिम्स में एक्सीडेंट में घायल मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए ट्रामा सेंटर चालू कर दिया गया है। इसके बावजूद मरीजों का इलाज गैलरी में ही किया जा रहा है। जहां बारिश में भीगकर इलाज कराना मरीजों की मजबूरी बन गई है। इसके बावजूद प्रबंधन मरीजों को नई बिल्डिंग में शिफ्ट नहीं कर रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी बिल्डिंग बनाने का फायदा मरीजों को कब मिलेगा?

गैलरी में डेढ़ दर्जन से अधिक मरीज

हॉस्पिटल में हर दिन एक्सीडेंट के मरीज काफी संख्या में आते हैं, जिसमें न्यूरो के मरीज अधिक होते हैं। ऐसे में उन्हें नए ट्रामा में शिफ्ट करने के बजाय पुरानी बिल्डिंग में ही रखा जा रहा है। इस वजह से न्यूरो वार्ड फुल हो चुका है। जबकि डेढ़ दर्जन से अधिक मरीजों का गैलरी में ही इलाज हो रहा है। दोनों ओर से गैलरी खुली होने के कारण बारिश की बूंदे मरीजों को भीगा रही है, जिससे बचने के लिए परिजन छाता और बेडशीट का इस्तेमाल करते है।

इधर बेड खाली, उधर जमीन पर मरीज

ट्रामा सेंटर में गंभीर रूप से घायल मरीजों के लिए 50 बेड रिजर्व है, जिसमें से 8 बेड छोड़कर बाकी सभी बेड खाली हैं। वहीं दूसरी ओर गैलरी में जमीन पर मरीजों का इलाज हो रहा है। अगर उन मरीजों को नई बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया जाता तो बेहतर केयर मिलती। वहीं जमीन पर इलाज कराने की नौबत नहीं आती।

67 करोड़ खर्च करने का क्या फायदा

बिल्डिंग के पहले पार्ट में 50 बेड की सेंट्रल इमरजेंसी और दूसरे पार्ट में 50 बेड का ट्रॉमा सेंटर है, जिसके निर्माण पर करीब 67 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। वहीं एम्स की तर्ज पर इंटीरियर भी डेवलप किया गया है। जिसका उद्घाटन सीएम ने 14 जुलाई को कर दिया है। इसके बाद वहां मरीजों को शिफ्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी। लेकिन अब मरीजों को वहां शिफ्ट करने की प्रक्रिया बंद कर दी गई है।

Posted By: Inextlive