-बेली हॉस्पिटल में मरीजों के प्रति नहीं दिखा संवेदनशील रवैया

-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में एक रेडियोलाजिस्ट के भरोसे जांच

-सर्जरी और स्किन का डॉक्टर नहीं होने से निराश लौटे मरीज

ALLAHABAD: सरकारी अस्पतालों में लाख दावे के बावजूद मरीजों की लाचारी सामने आ ही जाती है। बुधवार को बेली हॉस्पिटल में कुछ ऐसा ही नजारा दिखा। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में मरीज सिर्फ एक रेडियोलॉजिस्ट के भरोसे नजर आए। हालत यह थी कि घंटों बर्बाद करने के बाद मरीज डॉक्टरों को दिखा पा रहे थे। वहीं सर्जरी और स्किन के डॉक्टर न होने से कई मरीज निराश लौट गए।

स्पॉट: 1, समय: 12.50 दोपहर

मरीजों में मारपीट, सुरक्षा नदारद

बेली हॉस्पिटल की गैलरी में फिजीशियन आरसी मौर्या की ओपीडी के बाहर बड़ी संख्या में मरीज एकत्र हुए तो बवाल होने लगा। पहले धक्का-मुक्की हुई और फिर हाथापाई होने लगी। इतना सब होने के बावजूद हॉस्पिटल की सिक्योरिटी मौके पर नही पहुंची। कुछ मरीज अटेंडेंट को नंबर से बुलाने की मांग कर रहे थे। तेलियरगंज के सतीश का कहना था कि एक घंटे से लाइन में लगने के बाद भी नंबर नहीं आया। भीड़ और गर्मी की वजह से उसकी तबियत अधिक बिगड़ रही है।

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एक साथ दोनों डॉक्टर गायब, मरीज परेशान

सर्जरी के मरीजों के हालात भी बुधवार को बेहतर नजर नहीं आए। सर्जरी की दोनों ओपीडी पर ताला लगा था। डॉ। अजय द्विवेदी ओटी में थे तो डॉ। राजकुमार की ओपीडी के बाहर अवकाश की सूचना दी गई थी। ऐसे में कई मरीज निराश होकर वापस लौट गए। उनका कहना था कि कम से कम एक ओपीडी चालू होनी चाहिए थी। ऐसे डॉक्टरों के न होने से दूरदराज से आए मरीजों को परेशानी होती है।

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सुबह से डॉक्टर का इंतजार

वैसे तो महिला सर्जिकल वार्ड की स्थिति बेहतर नजर आई लेकिन मरीजों की व्यथा कुछ और थी। हॉर्निया का आपरेशन करा चुकी एक महिला ने कहा कि डॉक्टर सुबह राउंड पर नहीं आते, केवल शाम को आते हैं। इससे काफी परेशानी होती है। नर्से भी जल्दी नहीं सुनती हैं। डॉक्टर अगर शाम के साथ सुबह भी राउंड करें तो मरीजों का भला होगा।

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एक डॉक्टर के सहारे दो मशीनें

यहां रोजाना 40 से 50 मरीजों का अल्टासाउंड होता है। जांच के लिए दो मशीन लगाई गई हैं। यह जानकर ताज्जुब होगा कि केवल रेडियोलाजिस्ट के भरोसे जांच हो रही है। इससे मरीजों का नंबर देर से आता है। सीनियर रेडियोलाजिस्ट डॉ। कमलाकर सिंह का कहना है कि दोपहर दो बजे तक 40 से अधिक जांच हो जाती है। शासन से अतिरिक्त रेडियोलाजिस्ट की मांग की गई है लेकिन सुनवाई नहीं हो रही।

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स्किन ओपीडी में नहीं देखा गया एक भी मरीज

दो बजे बेली हॉस्पिटल बंद हो जाता है। रियलिटी चेक के अंतिम पड़ाव पर रिपोर्टर स्किन ओपीडी पहुंचा। आमतौर पर दोपहर ढाई बजे तक यहां मरीजों की लाइन लगी होती है लेकिन बुधवार को सन्नाटा पसरा था। बातचीत में पता चला कि आज स्किन के डॉक्टर अवकाश पर हैं। इसके चलते सैकड़ों मरीज वापस लौट गए। बता दें कि हॉस्पिटल में स्किन के केवल एक ही डॉक्टर तैनात हैं और रोजाना दो से ढाई सौ मरीज यहां आते हैं।

वर्जन

सर्जरी में एक डॉक्टर थे जो ओटी में थे। वहीं स्किन के डॉक्टर अवकाश पर हैं। मरीजों को इससे थोड़ी असुविधा हुई है। पहले ट्रेनिंग के डॉक्टर अल्ट्रासाउंड जांच में सहयोग करते थे, अब वह भी नहीं आ रहे हैं। इससे एक डॉक्टर को अकेले अल्ट्रासाउंड करना पड़ रहा है।

-डॉ। आरएस ठाकुर, अधीक्षक

Posted By: Inextlive