बेसहारा मरीजों के लिए मेडिकल कॉलेज संवेदनहीन
-डॉक्टर ने पर्चा लेकर बिना देखे ही निकाल दिया बाहर
-कर्मचारी भी ओपीडी कक्ष का ताला लगाकर हुए गायब आई एक्सक्लूसिव sundar.singh@inext.co.in Meerut : मेडिकल कॉलेज में एक बार फिर संवेदनहीनता का उदाहरण देखने को मिला। मंगलवार को मेडिकल स्टाफ ने इमरजेंसी से एक मरीज को निकालकर मनोचिकित्सक ओपीडी के बाहर लावारिस छोड़ दिया। हद तो तब हो गई जब डॉक्टर ने भी पर्चे में दवा तो लिखी, लेकिन उसके साथ 'मानवता' नहीं दिखाई। उसे वार्ड में एडमिट करने के निर्देश नहीं दिए। इसके बाद कर्मचारी मरीज को स्ट्रेचर पर छोड़कर गायब हो गए। थोड़ी देर बाद कुछ कर्मचारी आए और उसे नीचे फेंककर स्ट्रेचर भी ले गए। 1. चीखने पर निकाला मेडिकल कर्मचारियों ने चीख रहे बुढ़ाना निवासी 25 वर्षीय चीकू को मेंटली डिस्टर्ब माना और उसे स्ट्रेचर पर रखकर मेंटल ओपीडी के बाहर छोड़ दिया। 2. इमरजेंसी में तालामनोचिकित्सक डॉ। रवि राणा मरीज को दवा लिखकर निकल गए तो कर्मचारी ने इमरजेंसी में ताला लगा दिया।
3. इसके बाद मेडिकल कॉलेज के किसी डॉक्टर या कर्मचारी ने भी मरीज की सुध नहीं ली और वो इमरजेंसी के बाहर ही पड़ा रहा। 4. स्ट्रेचर भी गयाकुछ ही देर बाद दो लोग आए और उसे स्टेचर से नीचे गिराकर स्टेचर लेकर चलते बने। इसके बाद शाम पांच बजे तक मरीज गेट के बाहर पड़ा तड़पता रहा।
वर्जन इमरजेंसी जाकर मामले का पता लगाता हूं। यदि इतनी संवेदनहीनता बरती गई है। संबंधित को चिंहित कर कार्रवाई की जाएगी। -सुभाष सिंह, सीएमएस मेडिकल अस्पताल संबंधित डॉक्टर से बात करके मामले की जांच की जाएगी। साथ ही इतनी लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई निश्चित है। -केके गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कालेज मरीज का कोई तीमारदार मौजूद नहीं था। उन्हें दवाईयां लिखी गई थीं। इसके बाद मैं निकल आया था। -डॉ। रवि राणा, मनोचिकित्सक