-नवमीं फाइव ईयर प्लान से कॉलेज का रुका हुआ है फंड

- 15 साल से कॉलेज को ब्लैक लिस्टेड कर रखा है यूजीसी

PATNA: स्टेट का सबसे पुराना कॉलेज करीबन क्भ् साल से डेवलपमेंट को लेकर फंड के लिए मोहताज रहा। महज एक गलती के कारण कॉलेज को यूजीसी ने ब्लैक लिस्ट में डाल रखा था। प्रिंसिपल डॉ एन के चौधरी ने कॉलेज को फिर से फंड मिले, इसके लिए काम किया। अब कॉलेज को फंड मिलने का उम्मीद हैं।

ख्0 लाख का फंड वापस किया

यूजीसी की ओर से नवमी फाइव इयर प्लान के दौरान मिले फंड को कॉलेज के तत्कालिन एडमिनिस्ट्रेशन की ओर ये न तो खर्च किया। न वापस किया। यूजीसी की ओर से कई बार रिमाइंडर के बाद भी कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने फंड से संबंधित यूटिलिटी सर्टिफिकेट नहीं भेजा। इसके बाद यूजीसी ने कड़े कदम उठाते हुए पटना कॉलेज के फंड्स को रोक दिया।

दस करोड़ के करीब कॉलेज को नुकसान

पटना कॉलेज पटना यूनिवर्सिटी ही स्टेट का गौरव। कॉलेज में टीचर्स एवं नॉन टीचिंग स्टॉफ की भारी कमी है। कैंपस को मॉडल बनाने की बात तो दूर इसके बेसिक इंफ्रास्टक्चर को मेनटेन रखने के लिए कॉलेज के पास फंड का टोटा है। कैंपस के कई हॉस्टल जर्जर है। सेफ ड्रिंकिंग वाटर आदि के लिए कैंपस में अच्छी सुविधा नहीं है।

अगर रेगुलर मिला होता

पीयू के डेवलपमेंट ऑफिसर डॉ संजय कुमार ने बताया कि कॉलेज ब्लैक लिस्ट में शामिल नहीं होता, तो पांच-दस करोड़ तक फंड मिल सकता था। नवमी फाइव इयर से क्क् वीं फाइव इयर तक रेगुलर फंड कॉलेज को अगर मिला होता तो कैंपस की कई प्रॉब्लम्स हल हो चुकी होती। हमें आशा है कि यूजीसी के अनयूटिलाइज फंड वापस हो जाने के बाद जल्द ही कॉलेज को ब्लैक लिस्ट से बाहर निकाल दिया जाएगा।

दूर हो जाएगी हॉस्टल की बदहाली

कॉलेज वर्तमान फाइनेंशियल इयर में अगर फंड मिल जाता है, तो कॉलेज कैंपस में जर्जर तीनों हॉस्टल का काया कल्प हो सकता है। पटना कॉलेज का जैक्सन, मिंटो एवं न्यू हॉस्टल स्टूडेंट्स के रहने लायक बन जाता।

स्टेट का पुराना कॉलेज होने के नाते कॉलेज को मॉडल कॉलेज के रूप में डेवलप हो जाना चाहिए था। लोकल लेवल पर फंड का अभाव है। उम्मीद है कि जल्द से जल्द हमें फंड मिलने लगेगा। इसके अलावा अन्य सोर्स से भी फंड का जुगाड़ किया जा रहा है।

-डॉ एनके चौधरी, प्रिंसिपल, पटना कॉलेज

Posted By: Inextlive