PATNA : पटना की छवि पूरे देश में स्वच्छता के मामले में पिछे ही नजर आई है। फिर से देश में स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम ने सर्वे करना शुरू कर दिया है। पटना पिछली बार 318वें रैंक पर था, लेकिन पटना को स्वच्छ बनाने और उसकी रैंकिंग बढ़ाने की नगर निगम की तैयारी सिर्फ बैठकों तक ही सीमित है। पटना नगर निगम के सुस्त रवैये से इस बार भी शहर की रैंकिंग के अच्छे आसार नजर नहीं नजर आ रहे है। चाहे डोर टू डोर कचरा कलेक्शन हो या फिर वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम निगम हर जगह अपनी हंसी उड़वाएगा, जिसका खामियाजा शहर को खराब रैंकिंग से भुगतना होगा।

कूड़ा उठाने में लेटलतीफी

पटना नगर निगम पिछले कई सालों से राजधानी में कचरे की समस्या को ही दूर नहीं कर पाया है। जबकि दूसरे राज्यों के शहरों की बात करें तो कई सूखे और गीले कचरे के निष्पादन में पटना से काफी आगे निकल चुके है। वहीं, राजधानी होने के बावजूद नगर निगम पटना में कूड़ा उठाने में लेटलतीफी करता है। जितने जोर-शोर से निगम की गाडि़यां शुरुआत में कचरा कलेक्शन के लिए आती थी अब उसकी रफ्तार धीमी पड़ी हुई है। कई मोहल्ले में सप्ताह में एक या दो बार निगम की गाडि़यां चक्कर नहीं लगाती हैं। वहीं गलियों और मुख्य सड़कों पर भी भी जहां-तहां कूड़ा कचरा साफ नजर

आता है। ऐसे में शहर की सफाई के लिए तो निगम को ग्रेड मिलने से रहा। वहीं दूसरी तरफ जो भी कचरा उठता है उसे डंप करना और रिसाइकिलिंग करना भी निगम के लिए एक बड़ी चुनौती है।

रिहाइशी इलाके में डंपिंग यार्ड

नगर निगम जहां मन करता है वहीं कूड़ा डंपिंग यार्ड बना देता है। शहर में जहां भी खाली जमीन मिल रही हैं वहीं कूड़ा जमा कर दिया जा रहा है। स्थिति यह है कि कई जगह रिहाइशी इलाके में डंपिंग यार्ड बना दिया गया है। इसके बाद स्थानीय लोगों द्वारा अब विरोध किया जाता है तो उसे हटाया जाता है। सच्चाई ये है कि नगर निगम के पास शहर में कोई जगह ही नहीं है जहां वो कूड़ा डंप कर सके।

Posted By: Inextlive