दाऊद को लेकर छोटा शकील के भारत सरकार के खिलाफ बयान देने के बाद से इस मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। इस पूरे मामले को लेकर अब राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने अपना बयान प्रस्‍तुत किया है। उन्‍होंने बताया कि हां ये सच है कि वरिष्‍ठ वकील राम जेठमलानी ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के आत्मसमर्पण की इच्छा पर उनसे सीधा संपर्क किया था। उसके बाद दाऊद ने भी अपने आत्‍मसमपर्ण को लेकर सरकार के आगे कुछ शर्तें रखीं थीं। दाऊद की उन शर्तों को राज्य सरकार ने स्‍वीकार करने से मना कर दिया था।


यह थी शर्त इस पूरे मामले पर शरद पवार कहते हैं कि 1990 के समय में उनके मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल के दौरान दाऊद के आत्मसमपर्ण की पेशकश्ा की गई थी। वह पेशकश सशर्त थी। वहीं शर्त ये थी कि गिरफ्तार करने के बाद दाऊद को जेल में नहीं रखा जाएगा। इसके विपरीत उसे घर में ही रहने की अनुमति सरकार की ओर से दी जाएगी। सरकार ने उसकी ये शर्त उसी समय नामंजूर कर दी थी। सरकार का कहना था कुछ ऐसा


सरकार का कहना था कि दाऊद की गिरफ्तार होने के बाद भी जेल में न रहने की शर्त को सरकार किसी कीमत पर नहीं मान सकती। सरकार को ये नामंजूर है। ऐसे में उसी समय सरकार ने फैसला लेते हुए कहा कि अब दाऊद को हर नियम के साथ कानून का सामना करना होगा। उसे गिरफ्तार होने के बाद सजा की हर शर्त को सख्ती के साथ मानना होगा।   क्या थी जेठमलानी की पेशकश

गौरतलब है कि राम जेठमलानी के उस बयान के बारे में शरद पवार से जवाब तलब किया गया, जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि 1993 में हुए मुंबई के सीरियल बम ब्लास्ट का मुख्य आरोपी दाऊद अब फाइनली भारतीय अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करना चाहता था। उनके इस बयान में दाऊद के आत्मसमपर्ण की पेशकश को उस समय राज्य के मुख्यमंत्री (शरद पवार) ने ठुकरा दिया था। अपने इसी नाकारात्मक जवाब का कारण शरद पवार ने डंके की चोट पर दिया।Hindi News from India News Desk

Posted By: Ruchi D Sharma