- घंटों रहा एनएच-58 पर ट्रैफिक जाम, पब्लिक हुई परेशान

- 280 रुपए से 350 रुपए की कर रहे हैं मांग

Meerut : वेस्ट यूपी सहित मेरठ में भारतीय किसान यूनियन की ओर से किए गए चक्का जाम की वजह से एनएच-58 कई घंटों के लिए थम गया। लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। करीब 7 घंटे तक रहे इस आंदोलन की वजह से हजारों लोगों को ट्रैफिक जाम की से जूझना पड़ा। शाम को आए सिटी मजिस्ट्रेट उन्होंने सीएम के नाम ज्ञापन सौंप कर सड़क से उठे।

किया जाम

सोमवार को दिल्ली-हरिद्वार हाईवे के खिर्वा चौराहा पर भाकियू के बैनर किसानों ने पूरे एनएच को जाम कर दिया। 11 बजे अपने ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर बैठे किसानों को कोई भी हटा नहीं सका। किसान पूरी तरह से अड़े रहे कि जब तक लखनऊ कोई जवाब नहीं देगा तब तक किसी तरह से जाम को खुलने नहीं दिया जाएगा। भाकियू के जिलाध्यक्ष विनोद कुमार जाटौली ने कहा कि पिछले तीन सालों से कि सालों को बेवकूफ बना रही है। न तो गन्ने के दाम बढ़ाए गए और न ही किसानों का भुगतान ही किया गया। किसानों की समस्याओं को किसी भी परवाह नहीं है।

थमी वेस्ट यूपी की लाइफ लाइन

वेस्ट यूपी की सबसे व्यस्त सड़कों में से एक दिल्ली-मेरठ-हरिद्वार (एनएच-58) को लाइफलाइन भी कहा जाता है। इस जाम की वजह से हाईवे पूरी तरह थम गया। निजी और सरकारी गाडि़यां और बसें सड़क ऐसे खड़ी हो गई जैसे कोई पार्किंग स्पॉट हो। कई घंटों तक लोगों को एक इंच भी अपनी गाडि़यों को आगे बढ़ाने का मौका नहीं मिला। लेकिन इसकी परवाह किसी ने भी नहीं की।

भटकते रहे लोग, तमाशबीन प्रशासन

इस ट्रैफिक जाम की वजह से हजारों यात्री बस से नीचे आ गए। कई घंटों तक इधर-उधर भटकते रहे और पुलिस-प्रशासन तमाशा देखता रहा। किसी ने उन्हें उठाने की कोशिश नहीं की। अधिकारियों को डर था कि कहीं किसानों को छेड़ा तो लेने के देने न पड़ जाए। करीब 50 हजार से अधिक लोग सड़कों पर फंसे होने के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 150 से अधिक बसें इस जाम में पूरी तरह से फंसी रही।

7 घंटे तक बैठे रहे किसान

एनएच पर किसानों का कब्जा 7 घंटे के करीब रहा। 11 बजे आए किसानों ने शाम को 6 के बाद सड़क को खाली किया। इतनी देर तक किसान मेन एनएच पर काफी देर तक हुक्का ही गुड़गुड़ाते हुए नजर आए। शाम को सिटी मजिस्ट्रेट केशव कुमार किसानों के पास पहुंचे और किसानों की व्यथा को सुना। किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा।

ये रखी मांगे

- सरकार के घोषणा पत्र के अनुसार लागत में 50 फीसदी छेाड़कर लाभकारी मूल्य पराई सत्र 2015-16 के लिए गन्ने का मूल्य 425 रुपए प्रति कुंतल कर दिया जाए।

- गन्ना किसानों का बकाया भुगतान किया जाए। गन्ना आयुक्त निर्णय को निरस्त कर दिया जाए।

- क्रय केंद्रों पर घटतौली को रोका जाए।

- किसानों को 18 घंटे की बिजली दी जाए।

- नील गाय और जंगली सुअर से किसानों का पीछा छुड़ाया जाए।

- आंदोलन के दौरान किसानों पर मुकदमें वापस लिए जाए।

Posted By: Inextlive