उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन यूपीपीएससी की पीसीएस जे परीक्षा 2018 टल सकती है. 14 दिसम्बर 2017 को जारी आयोग के परीक्षा कैलेंडर में कहा गया था कि पीसीएस जे 2018 की परीक्षा आगामी 13 मई 2018 को करवाई जाएगी.

नहीं मिला लोक सेवा आयोग को अधियाचन, 15 जनवरी तक रखी गई थी मियाद
allahabad@inext.co.inALLAHABAD: उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीपीएससी) की पीसीएस जे परीक्षा 2018 टल सकती है। 14 दिसम्बर 2017 को जारी आयोग के परीक्षा कैलेंडर में कहा गया था कि पीसीएस जे 2018 की परीक्षा आगामी 13 मई 2018 को करवाई जाएगी। लेकिन ऐसा तब हो सकेगा, जब आयोग को 15 जनवरी 2018 तक शासन से रिक्त पदों का अधियाचन मिल जाए। फिलहाल आयोग को शासन से अभी तक रिक्त पदों का ब्यौरा ही नहीं मिल सका है। इससे इस परीक्षा को निर्धारित तिथि पर करवाया जा पाना मुश्किल लग रहा है।

चल रहा है प्रतियोगियों का अनशन
13 मई को निर्धारित परीक्षा में अडं़गे का एक बड़ा कारण पिछले कई दिनों से हाईकोर्ट चौराहे स्थित अम्बेडकर प्रतिमा पर महत्वपूर्ण मांगों को लेकर अनशन पर बैठे न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले प्रतियोगी भी हैं। न्यायिक सेवा समानता संघर्ष मोर्चा की अगुवाई में इन प्रतियोगियों ने हाईकोर्ट बार अध्यक्ष और कैट इलाहाबाद के पदाधिकारियों से मिलकर भर्ती परीक्षा का विज्ञापन मांगों के पूरा होने तक रुकवाने की भी मांग की थी। पिछले दिनो माघ मेले में आए सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम के दौरान इन प्रतियोगियों ने सर्किट हाउस में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलकर अपनी बात रखी थी। डिप्टी सीएम ने उन्हें आश्वस्त किया था कि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी।

31 जनवरी तक करेंगे इंतजार
न्यायिक सेवा के प्रतियोगियों का कहना है कि उनकी मांगों को पूरा करने में हाईकोर्ट, सरकार और लोक सेवा आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस बाबत आयोग के सचिव जगदीश से बात की गई तो उन्होंने बताया कि छात्रों की सभी मांगों से सरकार को अवगत करवा दिया गया है। इसके लिए सरकार को पत्र भी भेज दिया गया है। वहां से निर्णय होने के बाद भी कुछ हो सकेगा। सचिव जगदीश ने बताया कि अभी उन्हें पीसीएस जे परीक्षा के लिए रिक्त पद ही नहीं मिल सका है। इसके लिए वे 31 जनवरी तक इंतजार करेंगे। इसके बाद ही विज्ञापन जारी किए जाने के बारे में कुछ कहा जा सकेगा।

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ये है प्रतियोगियों की मांग

-भाषा के प्रश्न पत्र में हिन्दी के साथ अंग्रेजी को भी शामिल किया जाए। दोनों के अंक समान रखे जाएं।

-प्रश्न पत्र के मूल्यांकन में हिन्दी माध्यम के छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव को समाप्त किया जाय।

- न्यायिक परीक्षाओं का आयोजन प्रतिवर्ष नियमित रुप से किया जाय।

- उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज

(जूनियर डिवीजन) की परीक्षा में अन्य राज्यों की भांति चार अवसर की बाध्यता समाप्त किया जाय।

 

वर्जन

अभी आयोग को शासन की ओर से अधियाचन नहीं मिल सका है। इसके मिलने के बाद पहले विज्ञापन होगा फिर ऑनलाइन आवेदन मांगे जाएंगे। इसके बाद एडमिट कार्ड जारी करने के बाद ही परीक्षा की प्लानिंग हो पाएगी।

-जगदीश, सचिव लोक सेवा आयोग

Posted By: Inextlive