-सियासी संग्राम के बाद पहली बार एक साथ आए पीडीएफ विधायक

-पूर्व मंत्री नैथानी के आवास पर हुई बैठक, टूट के कयासों को बताया अफवाह

DEHRADUN: उत्तराखंड में सियासी संग्राम व अनिश्चितता के बीच पीडीएफ के छह विधायकों ने संशय से पर्दा उठा दिया। यह भी साफ किया की जिस प्रकार से पीडीएफ कांग्रेस सरकार के साथ था, आगे भी वह निवर्तमान सीएम हरीश रावत के साथ खड़ा रहेगा। दरअसल सियासी हलकों में चर्चाएं तैर रही थी कि भाजपा के निशाने पर कुछ पीडीएफ के नेता भी शामिल हैं। लेकिन इस पर पीडीएफ से अपनी मंशा साफ कर दी।

भाजपा के साथ जाना महज अफवाह

बीते ख्7 मार्च से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू है। बीजेपी के कुछ नेता मंचों पर राज्यपाल के बुलावे पर सरकार बनाने की बात करते रहे हैं। खबरें उड़ रही थी कि सरकार बनाने के लिए भाजपा पीडीएफ पर सेंधमारी कर सकती है। राजनीतिक हलकों में तो यह भी कहा जा रहा था कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज को पीडीएफ के विधायकों के लिए जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं पीडीएफ में अक्सर यह भी देखने में आया कि कई बार बसपा के सदस्य भी पीडीएफ की बैठकों में नहीं दिखे। इन खबरों के बीच रविवार को पीडीएफ के अध्यक्ष व पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी मीडिया के सामने आए और उन्होंने पीडीएफ की मंशा को सामने रखा। पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने साफ किया कि भाजपा बेवजह भ्रांतियां फैला रही है। पीडीएफ एक है और पूरी मजबूती के साथ निवर्तमान सीएम हरीश रावत के साथ रहेगा। इसके लिए चाहे फ्लोर टेस्ट भी क्यों न करा लिया जाए।

राष्ट्रपति शासन से जनता परेशान

रविवार को मंत्री प्रसाद नैथानी के आवास पर पीडीएफ की बैठक बुलाई गई। इससे पहले एजेंडा सुनाया गया। कहा कि पीडीएफ हरीश रावत को समर्थन देने के लिए कृतसंकल्प है और रहेगा। उन्होंने यह भी कि राष्ट्रपति शासन के बाद राज्य में जो हालात हुए हैं, उस पर कार्यवाही की जरूरत है। बैठक में पूर्व काबीना मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, प्रीतम सिंह पंवार, दिनेश धनै, विधायक सरबत करीम अंसारी व हरिदास भी शामिल थे।

Posted By: Inextlive