पब्लिक ने नकारी एमडीए की 'इंजीनियरिंग'
- एमडीए ने शहर के चार चौराहों के सौंदर्यीकरण का बनाया था प्रोजेक्ट
-18 लाख में बनवाया था छह करोड़ की योजना का डिजाइन, पब्लिक ने नकारा - योजना के अंतर्गत ट्रैफिक ओवर लोड चौराहों का किया जाना था आधुनिकीकरण mohit.sharma@inext.co.in Meerut: एमडीए द्वारा शहर के मुख्य चौराहों के मॉर्डनाइजेशन का फॉर्मूला जनता ने नकार दिया है। शहर के ट्रैफिक कंट्रोल के उद्देश्य से एमडीए द्वारा लाई गई करोड़ों की योजना में न केवल लोगों ने अड़ंगा लगा दिया है, बल्कि पब्लिक प्राधिकरण के विरोध में खड़ी हो गई है। इससे आम जन में एमडीए की किरकिरी तो हुई है साथ ही करोड़ों का प्रोजेक्ट शुरू होने से पूर्व ही धाराशाई हो गया है। एमडीए द्वारा बिना होमवर्क के ही शुरू किए इस प्रोजेक्ट से प्राधिकरण को करोड़ों का फटका लगा है। क्या था प्रोजेक्टदरअसल, भारी ट्रैफिक लोड और जाम से शहर को मुक्त करने के लिए एमडीए ने चौराहों के मार्डनाइजेशन का मॉडल तैयार किया था। प्रोजेक्ट में एमडीए ने शहर के चार मुख्य और ट्रैफिक लोड वाले चार चौराहों (तेजगढ़ी, हापुड अड्डा, एचआरएस चौक व बेगमपुल)का चुनाव किया था। एमडीए के अनुसार इन चौराहों पर तकनीकि रूप से काम कर ट्रैफिक समस्या को सुलझाया जा सकता है।
ये हैं ओवर लोडेड चौराहे
बच्चा पार्क चौराहा, ईव्ज चौराहा, इंद्रा चौक, हापुड़ अड्डा चौराहा, गांधी आश्रम, तेजगढ़ी, बेगमपुल चौराहा, फुटबाल चौराहा आदि। एमडीए का 'प्वाइंट ऑफ व्यू' सबसे अधिक ट्रैफिक ओवर लोडेड इन चौराहों में जाम लगने के कारण ट्रैफिक सिग्नल का न होना, यू टर्न न होना, फुट ओवर ब्रिज, पेडेस्टेरियन न होना या जेब्रा लाइन न होना पाया गया। एमडीए के मुताबिक इन समस्याओं का निस्तारण होने पर ट्रैफिक समस्या से निजात होना बताया है। छह करोड़ का प्रोजेक्ट एमडीए की ओर से इस प्रोजेक्ट का बजट छह करोड़ रखा गया है। छह करोड़ रुपए से होने वाले चार चौराहों के मार्डनाइजेशन पर अब जनता का अड़ंगा लग गया है। एमडीए ने दो माह पूर्व इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था। इसमें प्राधिकरण ने बागपत चौराहा स्थित एचआएस चौक व हापुड़ अड्डे पर काम शुरू कराया था। प्रोजेक्ट के अंतर्गत इन दोनों चौराहों पर एमडीए ने सड़क की वाइंडनिंग और फुटपाथ का निर्माण शुरू किया था, लेकिन लोगों ने काम को बीच में ही रोक दिया। 18 लाख में कराया था डिजाइन तैयारएमडीए ने अपने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का डिजाइन पर पानी की तरह पैसा बहाया था। देश की नामचीन संस्था सीआआरआई (सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट) द्वारा किया तैयार किए गए प्रोजेक्ट के डिजाइन पर एमडीए ने 18 लाख रुपए खर्च किए थे। अब जबकि प्रोजेक्ट पर जनता ने ग्रहण लगा दिया है। ऐसे में एमडीए द्वारा खर्च किया गया सरकारी पैसा मिट्टी में मिल गया है।
इंजीनियरिंग फेल एमडीए ने जो फुटपाथ बनाया है। वो बिल्कुल दुकानों से मिलाकर बनाया है। ऐसे में दुकान नीची पड़ गई हैं। काम गलत तरीके से किया गया है। रमेश, दुकानदार फुटपाथ मार्केट से सटाकर बनाने में यहां वाहनों को खड़ी करने के लिए जगह नहीं बची है। दूसरा सड़क वाइडनिंग होने से अब मार्केट के सामने खड़े होने वाले वाहन सड़क पर खड़े होने लगे हैं। सूरज, स्थानीय एमडीए के फुटपाथ पर लोगों ने स्टॉल लगा लिए हैं। ये लोग यहां खूब गंदगी पैदा करते हैं। इससे यहां सीवेज आदि चोक होने लगे हैं। सुभाष, दुकानदार फुटपाथ और मार्केट के बीच जगह छोड़ी जानी चाहिए थी। ताकि इस गैप से सड़क और मार्केट में उचित दूरी बनी रहती है। लेकिन एमडीए ने बिल्कुल गलत काम किया है। सतीश अग्रवाल, दुकानदारचौराहों के सौंदर्यीकरण निर्माण कार्यो में लोगों का अड़ंगा लगा था। इस प्रोजेक्ट में एमडीए बड़ी रकम खर्च की है। फिलहाल काम रुका हुआ है। लोगों से बात कर जल्द काम शुरू कराया जाएगा।
शबीह हैदर, अधीक्षण अभियंता एमडीए