आप हमारी बात को मजाक या किसी किस्‍म की गुस्‍ताखी ना समझें। ये अजीबो गरीब लेकिन बिलकुल सच्‍ची बात है। उत्‍तर प्रदेश के इटावा के पास हाइवे से लगी हुआ एक मकबरा है। इस मकबरे पर सुरक्षित यात्रा के लिए दुआयें मांगने हजारों यात्री रुकते हैं। वे मकबरे पर कम से कम पांच बार चप्‍पल या जूता मारते हैं और दुआ मांगते हैं।

दुआ मांगनी है तो चप्पल मारनी होगी
मकबरों और मजारों पर लोग दुआ मांगते हैं और फूल चढ़ाते हैं लेकिन एक मकबरा ऐसा है जहां पर दुआ पूरी होने के लिए लोग जूते और चप्पल मारते हैं। जीहां आपने कभी नहीं सुना होगा कि यात्रा को सुरक्षित रखने के लिए किसी कब्र को जूता मारना पड़ता हो, लेकिन यूपी के इटावा के पास बने ‘चुगलखोर का मकबरा’ पर लोग अपनी यात्रा को सुरक्षित करने के लिए जूते और चप्पल बरसाते हैं। यहां इबादत करने ज्यादातर वे लोग हैं जो इटावा-फर्रुखाबाद-बरेली मार्ग से जा रहे होते हैं।
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सुरक्षित यात्रा की दुआ
तमाम यात्री सुरक्षित यात्रा के लिए मन्नत मागने के लिए इस कब्र पर जूते मारकर आगे जाते हैं। यहां ये किवदंती प्रसिद्ध है कि इस मार्ग पर भूतों का साया होता है। जिनसे सुरक्षा के लिए इस पांच सौ साल पुराने मकबरे पर इबादत करनी जरूरी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि खुद को और अपने परिवार को भूतों के चलते होने वाली दुर्घटनाओं से बचाने के लिए लोग भोलू सईद की कब्र पर जूते मारते हैं।

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कुछ ऐसी है मकबरे की कहानी
इस मकबरे से जुड़ी एक कथा इस क्षेत्र में बेहद फेमस है। इस कहानी के अनुसार इटावा के बादशाह ने अपने बारे में गलत सोच रखने वाले अटेरी के राजा के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। बाद में बादशाह को पता चला कि उसे गलत फहमी हुई थी और इस युद्ध के लिए उसके दरबारी भोलू सैय्यद की चुगलखोरी की आदत जिम्मेदार थी। तब बादशाह ने हुक्म दिया कि भोलू को जूते चप्पलों से तब तक पीटा जाए जब तक उसकी मौत ना हो जाये। इसी वजह से सैय्यद की मौत के बाद से उसकी कब्र पर जूते मारने की परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि इटावा-बरेली मार्ग पर अपनी तथा परिवार की सुरक्षित यात्रा के लिए सैय्यद की कब्र पर कम से कम 5 जूते मारना जरूरी है।
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Posted By: Molly Seth