1988 में मैं जब माध्यमिक स्कूल में थी तो बेनज़ीर भुट्टो का पहला चुनाव मेरे लिए काफ़ी दिलचस्प था। मुझे अब लगता है कि चुनाव में भुट्टो के होने के कारण समसामयिक गतिविधियों की तरफ़ मेरी दिलचस्पी बढ़ी और मैं पत्रकारिता के पेशे में आई। लेकिन मुझे अपनी एक सहपाठी के साथ हुई वो तीखी बहस भी याद है। वो एक प्रमुख विपक्षी नेता की बेटी थीं। कोई सियासी कारण बताने के बजाय मेरी सहपाठी ने लंदन में भुट्टो की उदार जीवनशैली पर निशाना साधा था।

बेनज़ीर भुट्टो को नीचा दिखाने के लिए वो ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में उनके छात्र जीवन का भी ज़िक्र करती थीं।

मैं इससे ग़ुस्सा हो जाती थी। हाल ही में मैंने वो गुस्सा तब महसूस किया जब पाकिस्तान की अभिनेत्री माहिरा ख़ान को सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें आने के बाद निशाने पर लिया गया।

महिरा बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर के साथ वक़्त गुज़ारते कैमरे में क़ैद हो गई थीं। वो न्यूयॉर्क सिटी में सिगरेट पी रही थीं। उन्होंने बैकलेस शॉर्ट पहनी थी, जो मर्लिन मुनरो की ड्रेस से प्रेरित लग रही थी।

 

तस्वीर पर हंगामा

इस तस्वीर के कारण पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर काफ़ी हंगामा बरपा। उन्हें 'वेश्या' कह अपमानित किया गया और पाकिस्तान के साथ इस्लाम का नाम ख़राब करने का इल्ज़ाम लगा।

यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी पाकिस्तानी महिला को अपनी जीवन शैली की वजह से भला-बुरा कहा गया। 2007 में ज़िल-ए-हुमा नाम की एक प्रांतीय मंत्री की चरमपंथियों ने हत्या कर दी थी।

उनके हत्यारे ने बाद में स्वीकार किया था कि उन्होंने ठीक कपड़ा नहीं पहना था और महिला होकर राजनीति में थीं इसलिए उनकी जान ले ली।

इसी साल निलोफर बख़्तियार नाम की अन्य मंत्री को अपमानित किया गया था। उन्हें धमकी दी गई और अपनी ही पार्टी से निकाल बाहर किया गया।

 

समाज की पसंद क्या है?

साल 2008 में अफ़ग़ानिस्तान के गज़नी प्रांत में अमरीकी सैनिकों ने आफ़िया को गिरफ़्तार कर लिया था।

पाकिस्तानी इन्हें रिहा कराने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए थे। लेकिन 2010 में आफ़िया को हत्या की कोशिश और हमले के सात मामलों में दोषी ठहराया गया।

इस फ़ैसले से पाकिस्तानी काफ़ी ग़ुस्से में आए और अमरीका विरोधी भावना आग की तरह फैली।

सरकार को भी सामने आना पड़ा और उसने इस फ़ैसले से असहमति जताई। सिद्दिक़ी को देश की बेटी क़रार दिया गया।

जब 2015 में सैन बर्नारडिन्हो में गोलीबारी करने वाली तशफ़ीन मलिक के बारे में ख़बर आई तो उन पर किसी ने कीचड़ नहीं उछाला। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर बोला, लेकिन ज़्यादातर लोग खामोश रहे।

कुछ ऐसा ही रुख़ महिला चरमपंथी नोरीन लगहारी को लेकर सामने आया। इसी साल की शुरुआत में इन्हें पूर्वी लाहौर से गिरफ़्तार किया गया था।

वो चर्च में धमाका करने ही जा रहीं थी कि सुरक्षाबलों ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया।

माहिरा 'हमसफर' टीवी सीरियल के बाद मशहूर हुई थीं। इस टीवी सीरियल में उन्होंने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया था जो काफ़ी दबकर रहती थी। सीरियल में दिखने के कुछ महीने में ही माहिरा को शोहरत मिल गई थी।

 

 

किरदार पसंद है, असल माहिरा नहीं

लेकिन हाल की घटनाओं से पता चलता है कि वो माहिरा नहीं थी जिसे लोगों ने पसंद किया था बल्कि वो तो एक दबी-कुचली महिला ख़िर्द थी जिसने पाकिस्तानियों का दिल जीता था।

वो महिला उस सांचे में फिट बैठती है जो पितृसत्तात्मक समाज ने महिलाओं के लिए बनाया है।

लेकिन माहिरा, जो सिगरेट पीती हैं और अपने मर्द दोस्त के साथ घूमती हैं, उस राष्ट्र की बर्दाश्त से बाहर है जो अभी स्वतंत्र और सशक्त महिलाओं को लेकर सहज नहीं है।

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Posted By: Chandramohan Mishra