लोग करेंगे पहचान तभी बढ़ेगी विरासतों की शान
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की मुहिम में शामिल हुए शहर के लोगों ने दिए सुझाव
बनाए प्रपोजल, कहा लोग आएं आगे, प्रशासन को दिखाए आईना Meerut। शहर की ऐतिहासिक धरोहर को संजोने की दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की मुहिम रंग ला रही है। इस मुहिम को आगे बढ़ाने और आवाज उठाने के लिए शहर के जागरुक और संभ्रांत लोगों का कारवां लगातार बढ़ता जा रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की मुहिम के तहत गुरुवार को नवचंडी मंदिर परिसर में नौचंदी मैदान को लेकर पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। पैनल में जहां शहर की कई संस्थाएं आगे आकर जुड़ीं वहीं नौचंदी मेले की देश-विदेश में पहचान होने के बावजूद इसके मैदान की अनदेखी और बदहाली पर लोगों ने जमकर नाराजगी जताई और इसे संजोने और बेहतर बनाने के सुझाव साझा किए। यह मिले सुझाव- स्कूलों में मेरठ की विरासतों को करिकुलम में शामिल किया जाए
- नौचंदी मैदान की बाउंड्री वॉल बनवाकर गेट लगवाया जाए - स्कूली बच्चों की विजिट करवाई जाए - विरासतों को लेकर समय-समय पर निबंध, वाद-विवाद व ड्राइंग प्रतियोगिताएं आदि होनी चाहिए। - डिटेल्ड प्रोजेक्ट तैयार कर नगर-निगम, नगर आयुक्त से विचार-विमर्श कर उस पर काम करना होगा।- यहां लोगों की आवाजाही बढ़नी चाहिए।
- लोगों को धरोहर की प्रति रखरखाव के लिए जागरुक किया जाए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की यह मुहिम बहुत अच्छी है। इस पहल में सभी साथ है। धूमिल होती हमारी विरासत पर मंथन करना बेहद जरूरी है। प्रशासन से इनकी अनदेखी का जवाब मांगा जाना चाहिए। स्मारकों अनुभूति चौहान स्कूलों में करिकुलम एक्टिविटी के तहत शहर की ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य होना चाहिए। आने वाली पीढ़ी अगर इससे अंजान रहेगी तो इन्हें सहेजना मुश्किल होगा। ऋचा सिंह सबसे जरूरी है कि युवाओं को इन धरोहरों से रुबरु करवाया जाए। खासतौर पर स्कूली बच्चों के लिए इन स्मारकों की विजिट अनिवार्य होनी चाहिए। िनधि मित्तल शहर की ऐतिहासिक धरोहरों को संजोना बहुत जरूरी है। इन जगहों पर क्या काम होना है, इस पर मंथन हो और अधिक से अधिक लोगों को इससे जोड़ा जाए तभी यहां पर बदलाव हो सकेगा। एसके शर्मा लोगों को इन जगहों के बारे में जानकारी ही नहीं है। लोगों इन जगहों के बारे में जानें और यहां पहुंचे ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। उदासीनता दूर होगी तब भी बदलाव आएगा । वैशाली वृंदायहां टूरिज्म डेवलपमेंट होना बहुत जरूरी है। जब तब आवागमन नहीं होगा, लोग इन धरोहरों से अंजान ही रहेंगे। ऐसी जगहों पर लगातार एक्टिविटीज होनी चाहिए।
राजीव अग्रवाल, होम्योपैथ शहर की धरोहरों का ना तो रखरखाव हो रहा है और ना ही नई पीढ़ी इन स्मारकों के बारे में ज्यादा जानती है। हमें प्रशासन को नींद से जगाना होगा ताकि मेरठ की विरासत को संजोया जा सके। राहुल गुप्ता दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की यह पहल काफी अच्छी है। इसके माध्यम से लोगों में जागरूकता आएगी। इसके अलावा सभी लोग मिलकर प्रशासन को भी जगाएंगे ताकि मेरठ अपनी धरोहरों को आने वाली पीढि़यों के लिए भी संजो सके। अर्पित सक्सैना लोगों को जानकारी ही नहीं है और इसकी वजह है प्रशासन की अनदेखी। जब तक हम जागेंगे नहीं प्रशासन कुछ नहीं करेगा। जरूरी है। लोग खुद आगे आएं और इन्हें संजोने का काम करें मास्टर गफ्फार इन विरासतों को बचाने के लिए हमें ही पहल करनी होगी। छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा बदलाव आएगा। जितना हो सकता है हम लोग आकर इस पर काम करें। आयुष गोयललोगों को शहर की एतिहासिक धरोहरों की जानकारी ही नहीं हैं। ऐसे में इनका विकास कैसे होगा। एएसआई और टूरिज्म विभाग को इन धरोहरों की ओर ध्यान देना चाहिए।
आर के गोयल नौचंदी मैदान में सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं हैं। ऐसे में लोग यहां आने में कतराते है। असामाजिक तत्वों ने यहां डेरा जमाया हुआ है। प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं हैं। उस्मान अली राणा नौचंदी ग्राउंड का हाल बेहाल है। यह भैंस मैदान और खेल का मैदान बन चुका है। झंडे की सबसे ज्यादा बेकद्री है। इस पर लाइट तक नहीं लगी है। जफर चौधरी नौचंदी मैदान में मंदिर और मजिस्द आमने-सामने हैं। हिंदु मुस्लिम एकता की मिसाल देखी जाती है, लेकिन नगर निगम और जिला पंचायत न तो इनके रखरखाव पर ध्यान दे रही है न ही इसके लिए बजट दे रही है। महेंद्र शर्मा