- पुलिस-प्रशासन से अनुमति लेने के लिए करना होगा आवेदन

- कोर्ट की गाइड लाइन का पालन कराने पर पुलिस का रहेगा जोर

GORAKHPUR: दशहरे की तैयारी को देखते हुए दुर्गा पूजा के पंडाल का निर्माण कार्य जगह-जगह शुरू हो गया है। पूर्व निर्धारित स्थानों पर पूजा समितियों के सदस्य बांस-बल्ली के जरिए पंडाल के कंस्ट्रक्शन में लगे हुए हैं। शहर में चल रहे कंस्ट्रक्शन वर्क की वजह से पूजा पंडाल बनाने में प्रॉब्लम आ सकती है। जबकि सड़क को रोककर पंडाल बनाने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है। ऐसे में इस साल दशहरे में पंडाल बनाने के लिए पुलिस-प्रशासन की अनुमति ज्यादा जरूरी होगी। एसपी सिटी का कहना है कि इस संबंध में ख्फ् सितंबर को डीएम ने मीटिंग बुलाई है। इस दौरान सभी विभागों के अधिकारियों संग मिलकर तैयारी पर चर्चा की जाएगी।

कंस्ट्रक्शन वर्क होने से बढ़ सकती है प्रॉब्लम

शहर में प्रमुख जगहों पर दुर्गा प्रतिमाएं सजती हैं। इनमें रेलवे स्टेशन, मोहद्दीपुर, कूड़ाघाट, यूनिवर्सिटी चौराहा, धर्मशाला बाजार, अलहदादपुर, टीपी नगर सहित कई एक दर्जन स्थान शामिल हैं। यहां पर स्थापित होने वाली मां दुर्गा की प्रतिमाओं की खूबियों की देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस साल ख्9 सितंबर से नवरात्र की शुरूआत हो जाएगी। इसलिए पूजा समितियां शहर में दुर्गा पंडाल बनाने में जुट गई हैं। इससे आने वाले दिनों में ट्रैफिक की प्रॉब्लम बढ़ जाएगी। क्योंकि शहर में कई जगहों पर सड़क, नाली और बिजली से संबंधित कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहे हैं। इसलिए पंडाल बनाने के लिए पहले से ज्यादा सजगता दिखानी होगी। जिले में करीब तीन हजार दुर्गा प्रतिमाओं की स्थाना होती है। इनमें एक हजार से अधिक शहरी क्षेत्र की हैं।

यहां सजती प्रमुख प्रतिमाएं

- रेलवे स्टेशन रोड

- यूनिवर्सिटी चौराहा

- मोहद्दीपुर

- कूड़ाघाट

- रेलवे लोको ग्राउंड

- असुरन चौक

- दुर्गाबाड़ी

- अलहदादपुर

- चारफाटक मोहद्दीपुर

- जंगल तुलसीराम बिछिया

पूर्व में यह जारी की गई थी गाइड लाइन

- सड़क के किनारे पंडाल बनाए जाने पर ट्रैफिक बाधित नहीं होनी चाहिए।

- बिजली के तारों के नीचे पंडाल निर्माण नहीं होना चाहिए।

- यदि तारों के नीचे पंडाल बने तो पर्याप्त दूरी होनी चाहिए ताकि कोई खतरा न हो।

- लाइटिंग के लिए खुले तार, कटे और पुराने तारों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

- दुर्गा प्रतिमा पंडालों के गेट कम से कम तीन मीटर ऊंचे बनाए जाएंगे।

- पंडाल के चारों और तीन मीटर से अधिक की खुली जगह होनी चािहए।

- पंडाल के भीतर सिंथेटिक कपड़ों और रस्सी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

- पंडाल में तिरपाल, सूती, आग रोधी कपड़ों का यूज किया जाना चाहिए।

- बल्ली और बांस को बांधने के लिए नारियल और सूती रस्सी का प्रयोग करना चाहिए।

- पंडाल की इंट्री प्वॉइंट और एग्जिट की ऊंचाई और चौड़ाई पांच मीटर से अधिक होनी चाहिए।

- पंडाल की इंट्री प्वॉइंट और एग्जिट प्वॉइंट्स क्भ् मीटर से अधिक न हो, इमरजेंसी के लिए दो एग्जिट बनाया जाए।

- पंडाल के पास कम से कम दो सौ लीटर के ड्रम में पानी भरकर रखा जाएगा। बालू और पानी के लिए बाल्टी भरी रहेगी।

- पंडाल के भीतर और बाहर इमरजेंसी टेलीफोन, मोबाइल नंबर भी लिखे जाएंगे। संपर्क अधिकारियों का नाम अंकित किया जाएगा।

वर्जन

इस संबंध में एक बैठक की जाएगी। पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों संग मिलकर पूजा समितियों के पदाधिकारियों से बातचीत होगी। सुरक्षित तरीके से त्योहार मनाने के संबंध में विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा होगी। ख्फ् सितंबर को डीएम की अध्यक्षता में बैठक प्रस्तावित है। इसके बाद आगे की तैयारी की जाएगी।

डॉ। कौस्तुभ, एसपी सिटी

Posted By: Inextlive