Bareilly: पाबंदी के बावजूद सिटी के कई पेट्रोल पंप खुलेआम 'पेट्रोल बम' बांट रहे हैं. असल में गत दिनों हुई उप्रदव की घटनाओं के बाद कोर्ट के साथ डिस्ट्रिक्ट एडमिनस्ट्रिेशन ने भी बोतल या कंटेनर में पेट्रोल देने पर रोक लगा रखी है. पर लाख कोशिशों और दावों के बाद भी पेट्रोल पंपों की करतूतों पर लगाम नहीं लग सकी है. पेट्रोल पंपों की कारस्तानी उजागर करती आई नेक्स्ट रिपोर्टर प्रशांत कुमार सिंह की रिपोर्ट


आदेशों को ठेंगा दिखा रहे पेट्रोल पंपगोधरा में साबरमती एक्सप्रेस को फूंके जाने के मामले में नानावटी आयोग ने जो रिपोर्ट पेश की उसके आधार पर भविष्य में ऐसी किसी स्थिति से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में बोतलों में पेट्रोल या किसी अन्य ज्वलनशील पदार्थ की बिक्री पर रोक लगा दी थी। यही नहीं बीते दिनों हुए उपद्रवों से सबक लेते हुए प्रशासन ने भी  ज्वलनशील पदार्थों की बिक्री के नियम और सख्त कर दिए थे। इस सब के बाद भी सिटी में नियमों को ताक पर रख कर बोतलों और कंटेनरों में पेट्रोल की बिक्री की जा रही है। खुलेआम बिक रहा बोतल में पेट्रोल
सिटी में इंडियन ऑयल, एचपी और भारत पेट्रोलियम के 38 पंप हैं। जिनसे हर दिन लाखों लीटर पेट्रोल व डीजल की सेल होती है। लेकिन इन पंप्स में से कुछ ऐसे भी हैं जिनका नियम कानून से कोई वास्ता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर और एडमिनिस्ट्रेशन की सख्ती को दरकिनार कर इन पंप्स से बोतल और कंटेनर्स में पेट्रोल की सेल की जा रही है। जबकि नियमानुसार इस तरह से आधा लीटर पेट्रोल भी सेल करने पर रोक है।निर्देश की अनदेखी


बोतल और कंटेनर में पेट्रोल दिए जाने की शिकायत मिलने पर पूर्व जिला आपूर्ति अधिकारी केएल तिवारी ने पंप मालिकों को ऐसा न करने की हिदायत दी थी। 9 सितम्बर 2010 को जारी किए गए निर्देश में ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही गई थी। इसके बाद कुछ दिनों पहले सिटी में हुए उपद्रव के दौरान भी पूर्व डीएम मनीष चौहान ने भी बोतल और कंटेनर में पेट्रोल न दिए जाने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके सिटी के पेट्रोल पंप्स पर इन सभी निर्देशों को ठेंगा दिखाया जा रहा है।तो जा सकती है डीलरशिप बोतलों और कंटेनर में पेट्रोल न दिए जाने के आदेश के बावजूद पेट्रोल पंप्स पर ऐसा किया जा रहा है। अधिकारियों के अकॉर्डिंग ऐसा करने वाले पंप्स को पहले तो नोटिस दिया जाता है। इसके बाद भी अगर पंप से बोतल में पेट्रोल दिया जाता है तो उनकी डीलरशिप कैंसिल की जा सकती है।नहीं लेते एनओसी

इन पेट्रोल पंप्स की मनमानी केवल यहीं तक सीमित नहीं है। रूल्स के अकॉर्डिंग पेट्रोल पंप के कंसट्रक्शन से पहले और वर्क कंप्लीट होने के बाद फायर डिपार्टमेंट से एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लेना जरूरी होता है। लेकिन ये पंप्स इस रूल को भी नहीं फॉलो कर रहे हैं। फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अकॉर्डिंग पंप ओनर्स पंप के कंसट्रक्शन से पहले तो डिपार्टमेंट से एनओसी लेते हैं। लेकिन पंप का कंसट्रक्शन कंप्लीट होने के बाद डिपार्टमेंट से एनओसी नहीं ली जाती है। गोधरा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था बैन27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस की स्लीपर बोगी में आग लगा दी गई। इस हादसे में 58 लोगों की मौत हो गई। इस घटना के अगले ही दिन अहमदाबाद में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए जिसमें लगभग एक हजार लोग मारे गए। मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नानावटी आयोग का गठन किया था। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2002 में गुजरात में हुए दंगे सुनियोजित तरीके से कराए गए थे। जांच में पाया गया कि साबरमती एक्सप्रेस के कोच नंबर एस-6 को आग के हवाले करने के लिए पेट्रोल का इस्तेमाल किया गया था। रिपोर्ट में हुए इस खुलासे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में बोतल या कंटेनर्स में ज्वलनशील पदार्थों की बिक्री और यात्रा के दौरान साथ लेकर चलने पर रोक लगा दी थी। ऐसा भविष्य में गोधरा जैसी किसी और घटना से बचने के लिए किया गया था।
सिटी के पेट्रोल पंप्स से बोतल और कंटेनर्स में पेट्रोल नहीं दिया जा रहा है। अगर कोई ऐसा कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जहां तक एनओसी लेने की बात है पंप के कंसट्रक्शन के समय ही एक बार फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लेनी होती है। उसके बाद एनओसी लेने की जरूरत नहीं पड़ती।-पंकज अग्रवाल, वाइस प्रेसीडेंट, पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन, बरेलीपंप के निर्माण के बाद किसी भी पंप ओनर ने फायर डिपार्टमेंट से एनओसी नहीं ली है। जबकि पंप का कंसट्रक्शन वर्क कंप्लीट होने के बाद आग से निपटने के इंतजामों की जांच करवा कर डिपार्टमेंट से एनओसी लेनी जरूरी होती है। पंप्स द्वारा एनओसी न लेने की सूचना एडमिनिस्ट्रेशन को दे दी गई है।-आरके सिंह, फायर स्टेशन ऑफिसरबोतल और कंटेनर में पेट्रोल देना सख्त मना है। पेट्रोल पंप ओनर्स नियम की अनदेखी करते पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए संबंधित पेट्रोलियम कंपनी को लिखा जाएगा। नियम की अनदेखी पर लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान है। - केबी सिंह, जिलापूर्ति अधिकारी, बरेली

Posted By: Inextlive