- बाहरी प्रदेशों की यूनिवर्सिटी के नाम पर दी जाती थीं फर्जी फार्मेसी की डिग्री

बाहरी प्रदेशों की यूनिवर्सिटी के नाम पर दी जाती थीं फर्जी फार्मेसी की डिग्री

LUCKNOW: lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: राजधानी ही नहीं, फर्जी फार्मेसी की डिग्री पर पूरे प्रदेश में मेडिकल स्टोर चल रहे हैं। दूसरे प्रदेश की यूनिवर्सिटी के नाम पर ये फर्जी फार्मेसी की डिग्री जारी की गई हैं। इस पूरे खेल में जालसाजों के साथ ही फार्मेसी काउंसिल के तीन बाबू भी शामिल हैं। जिनकी रिपोर्ट फार्मेसी काउंसिल को भेजी गई है।

कैसे करते थे फर्जीवाड़ा

इस मामले में पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वे अलग-अलग नाम से एजुकेशन सेंटर चलाते हैं। उसी की आड़ में देश की अलग-अलग यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट बनाकर फार्मेसी काउंसिल में जमा करते थे। वहां वेरीफिकेशन प्रक्रिया भी फर्जी तरीके से पूरी कराते और 70 से 80 हजार रुपए लेकर उसे दूसरों को दे देते थे।

फार्मेसी काउंसिल के बाबू भी शामिल

इस फर्जीवाड़े में फार्मेसी काउंसिल के बाबू भी शामिल थे। वे डिग्री के वैरीफिकेशन को पास कराते थे। इसके बदले उन्हें मोटा कमीशन मिलता था।

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जांच में प्रकाश में आए यह नाम

- विजय कुमार सिंह, यूपी फार्मेसी काउंसिल लखनऊ

- विकास सिंह, यूपी फार्मेसी काउंसिल लखनऊ

- सतीश विश्वकर्मा, यूपी फार्मेसी काउंसिल लखनऊ

- अमित राय, गाजीपुर

- सुशांत निवासी पिलखुवा हापुड़

- गिरीश निवासी गाजियाबाद

- तरुण राठौर, निवासी दिल्ली

इन्हें किया गया गिरफ्तार

इस पूरे मामले में मडि़यांव निवासी दिनेश सचान, प्रमोद अवस्थी, सरोजनीनगर निवासी विशाल वर्मा, कृष्णा नगर निवासी शैलेंद्र कुमार, गोमतीनगर निवासी शाइस्ता सिद्दीकी, वाराणसी निवासी गुंजेश कुमार, अतुल कुमार सिंह को गिरफ्तार किया गया है।

फार्मेसी काउंसिल को भेजी गई रिपोर्ट

फार्मेसी लाइसेंस के फर्जीवाड़े के खेल की जांच में जिन तीन बाबुओं का नाम सामने आया है। अलीगंज पुलिस ने उनकी जांच के साथ-साथ फार्मेसी काउंसिल को भी उनकी रिपोट भेजी है। ताकि उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ इस बात का पता चल सके कि आखिर कितने समय से यह खेल चल रहा है।

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अभ्यर्थी भी फर्जीवाड़े से अंजान

जिन अभ्यर्थियों को गैंग ने फार्मेसी की डिग्री थमाई है, वह भी इस खेल से अंजान है। क्योंकि फार्मेसी की डिग्री के लिए उन्हें इस पूरी प्रक्रिया से गुजारा जाता था जो कि असली डिग्री जैसी होती है। गैर प्रदेशों के यूनिवर्सिटी का नाम भी इसलिए यूज किया जाता था कि अभ्यर्थी वहां जाकर इसे सत्यापित न कर सकें।

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दूसरे प्रदेशों की डिग्री

इस पूरे खेल में अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा की डिग्री का यूज किया जा रहा था।

Posted By: Inextlive