- तीसरी श्रेणी वालों कॉलेज ही करा सकेंगे पीएचडी

- यूजीसी ने नेट अनिवार्य करने का दिया है प्रस्ताव

आई एक्सक्लूसिव

स्वाति भाटिया

मेरठ-अगर कोई यूनिवर्सिटी या उच्च शिक्षण संस्थान राष्ट्रीय रैंकिंग में शीर्ष 50 में नहीं है या एनएएसी में उसकी खराब रैंकिंग है तो उसके द्वारा कराए जा रहे पीएचडी पाठ्यक्रम में नामांकन मिलना कठिन हो जाएगा। दरअसल यूजीसी ने इसके लिए नेट अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया है। यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग नए नियम के अनुसार अब जो संस्थान 'तीसरी श्रेणी' में आते हैं वे केवल उन्हीं उम्मीदवारों को पीएचडी करा सकेंगे।

मांगा है फीडबैक

नए नियम में ये कहा गया है 'जो संस्थान तीसरी श्रेणी में हैं वहां वहीं उम्मीदवार पीएचडी कर सकेंगे। जिन्होंने नेट, स्लेट या एसईटी परीक्षाएं उत्तीर्ण की है। नेट कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर व्याख्याता के लिए योग्यता है और इससे जूनियर रिसर्च फेलोशिप दी जाती है। जबकि राज्य पात्रता परीक्षा यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त राज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की पात्रता है। यूजीसी ने इस महीने के अंत तक सभी संबंधित पक्षों से प्रस्तावित नियमन पर फीडबैक मांगा है।

15 तक दे सकते हैं फीडबैक

यूजीसी ने पीएचडी में प्रवेश लेने के लिए अपनी वेबसाइट पर नियम डाले हैं, जिसके अनुसार पीएचडी में प्रवेश अब काफी मुश्किल होगा। इन नियमों के संशोधन के संबंध में, स्टैकहोल्डर 15 जून तक फीडबैक दे सकते हैं। ड्राफ्ट रेगुलेशन ने सुझाव दिया है कि तीसरी श्रेणी के तहत आने वाली संस्थाएं उन उम्मीदवारों को भर्ती करेगी, जिन्होंने पीएचडी के लिए नेट स्लेट की परीक्षाएं पास की हो।

क्या है पहली श्रेणी

यूजीसी के अनुसार, यूनिवर्सिटी पहली श्रेणी के लिए यदि 3.5 या उससे अधिक के स्कोर के साथ नैक द्वारा मान्यता प्राप्त हो गई है। या फिर अगर उसने एनआईआरएफ के शीर्ष 50 संस्थानों में लगातार 2 साल तक रैंकिंग हासिल की हो।

क्या है दूसरी श्रेणी

यूनिवर्सिटी दूसरी श्रेणी के लिए नैक द्वारा 3.01 और 3.4 9 के बीच के स्कोर के साथ मान्यता प्राप्त की हो। या फिर एनआईआरएफ 2 वर्षो के लिए 51 से 100 संस्थानों में रैंकिंग हासिल की गई हो।

क्या है तीसरी श्रेणी

यूनिवर्सिटी तीसरी श्रेणी है तो वह ना तो श्रेणी पहली या श्रेणी दूसरी के अंदर आएगी। नए नियम के अनुसार जिन्होंने पीएचडी के लिए नेट या स्लेट या सेट की परीक्षाएं पास की हो। उन्हीं को पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए श्रेणी 3 संस्थानों में प्रवेश मिलेगा।

क्या कहते हैं स्टूडेंट्स

पीएचडी मुश्किल कर दी है, ये अच्छी बात है। अक्सर पीएचडी करने वालों की संख्या अधिक हो जाती थी। लेकिन जॉब नहीं होती थी। इससे लिमिटेड जरुरत वाले होंगे।

अक्षय

ये सही किया जा रहा है, इससे योग्य ही पीएचडी कर पाएंगे और स्टूडेंट्स को भी केवल सही कॉलेजों से पीएचडी करने का मौका मिलेगा।

अंकित

अभी तक फर्जी तरीके से पीएचडी कराने के केस सामने आते थे। लेकिन ये फैसला स्टूडेंट्स के हित में किया गया है जो अच्छा है।

रोहित

पीएचडी करना अब मुश्किल हो गया है, ये सहीं किया है। क्योंकि अक्सर कॉलेज पीएचडी के नाम पर स्टूडेंट्स मोटी रकम वसूलते थे।

शिवम

Posted By: Inextlive