स्वास्थ्य मौलिक अधिकार, हाई कोर्ट प्रिमाइस में भी बने हाइटेक हॉस्पिटल
हाई कोर्ट में दाखिल हुई जनहित याचिका, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट में उपलब्ध सुविधा का दिया हवाला, सुनवाई 13 को prayagraj@inext.co.in इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में आधुनिक सुविधायुक्त 20 बेड वाले एक सुसज्जित अस्पताल बनाने की मांग को लेकर जनहित याचिका दाखिल की गई है। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। जस्टिस बीके नारायण व जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने ममता सिंह की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका पर सुनवाई 13 दिसंबर को होगी। सीएमएस को भी बनावें प्रतिपक्षीकोर्ट ने मुख्य स्वास्थ्य अधीक्षक को भी प्रतिपक्षी बनाने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता के अनुसार सात नवंबर 2019 को अधिवक्ता अमूल्यरत्न को कोर्ट रूम में बहस के दौरान दिल का दौरा पड़ा। प्राथमिक उपचार भी उन्हें नहीं मिला था। उन्होंने कोर्ट रूम में ही दम तोड़ दिया गा। इसके पूर्व भी दो अन्य अधिवक्ता न्याय कक्ष में अचानक बीमारी से मर चुके हैं। प्रतिदिन यहां बड़ी संख्या में जज, वकील, मुंशी, कर्मचारी और सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी होती है। इसके बाद भी यहां एक साधारण डिस्पेंसरी भर है। एम्बुलेंस की दशा भी दुरुस्त नहीं है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट में सात मंजिला आधुनिक हॉस्पिटल हैं। देश के कुछ अन्य उच्च न्यायालयों में भी आधुनिक सुविधाओं से उक्त अस्पताल है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वास्थ्य मौलिक अधिकार है। इसीलिए यहां भी हाइटेक सुविधाओं से युक्त हॉस्पिटल होना चाहिये। उच्च न्यायालय की तरफ से अधिवक्ता आशीष मिश्र ने बहस की।
150 वर्ष पुराना है इलाहाबाद हाईकोर्ट 100 से अधिक हैं न्यायमूर्ति के पद 18000 अधिवक्ता रोज आते हैं हाई कोर्ट 1200 तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की है तैनाती 5000 मुंशी वकीलों से जुड़कर करते हैं काम 600 से अधिक सुरक्षाकर्मी किये गये हैं तैनात