देश में 6 से 14 साल की आयु के सभी बच्चों के लिए समान पाठ्यक्रम वाली एक समान शिक्षा प्रणाली लागू कराने की दिशा में भाजपा नेता एवं अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कदम आगे बढ़ाया है। उन्होंने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है।


नई दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें पूरे देश में 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए समान पाठ्यक्रम वाली एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने की मांग की गई है। भाजपा नेता व अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर कर भारतीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का विलय करके वन नेशन वन एजुकेशन बोर्ड स्थापित करने की दिशा में केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है। इस संबंध में वकील अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि केन्द्र और राज्यों ने संविधान के अनुच्छेद 21ए (नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा) की भावना में एक समान पाठ्यक्रम वाली शिक्षा प्रणाली स्थापित करने की दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। शिक्षा का माध्यम राज्य की अधिकारिक भाषा के अनुरूप भिन्न हो सकता
याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 21 ए के तहत बच्चे तब तक अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकते हैं जब तक कि केंद्र और राज्य मूल्य आधारित समान शिक्षा प्रदान नहीं करते है। याचिका में कहा गया है कि शिक्षा का माध्यम भले ही संबंधित राज्य की अधिकारिक भाषा के अनुरूप भिन्न हो सकता है लेकिन 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों की शिक्षा का पाठ्यक्रम एक समान होना चाहिए। याचिका में व्यवस्था को लागू करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा परिषद या राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के गठन की व्यवहार्यता का पता लगाने के निर्देश दिए गए हैं।प्रचलित प्रणाली सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान नहीं करतीवर्तमान में प्रत्येक शिक्षा बोर्ड का अपना पाठ्यक्रम है और प्रवेश परीक्षा सीबीएसई पर आधारित है। इसलिए प्रचलित प्रणाली सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान नहीं करती है। याचिका में यह तर्क दिया कि पिछले दस वर्षों के आंकड़ों से, यह देखा जा सकता है कि भले ही बच्चे आरटीई अधिनियम के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का पालन कर रहे हों लेकिन छात्र सीबीएसई से संबद्ध कॉन्वेंट और निजी स्कूलों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं। ऐसे में अब वन नेशन वन एजुकेशन बोर्ड की स्थापना की दिशा में कदम बढाना जरूरी है।

Posted By: Shweta Mishra